
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
गोरखपुर, [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ज्ञानवापी को लोग दुर्भाग्य से मस्जिद कहते हैं, दरअसल वह साक्षात शिव हैं। अपने इस बयान की पुष्टि उन्होंने आदि शंकराचार्य के एक प्रसंग से की, जिसमें स्वयं भगवान विश्वनाथ अपने को ज्ञानवापी बताते हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह प्रसंग विस्तार से सुनाया।
सीएम योगी ने बताया कि जब आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे तो स्वयं भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली। आदि शंकर जब गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तो भगवान ने चांडाल के रूप में उनका रास्ता रोकने की कोशिश की।

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उन्होंने कहा कि जब आदि शंकर ने रास्ते से हटने के लिए कहा तो चांडाल ने उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें वह ब्रह्म के अतिरिक्त सारे संसार को माया बताते हैं। यह सुनकर आदि शंकर समझ जाते हैं कि वह चांडाल कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब वह पूछते हैं कि आखिर वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में जानता है तो चांडाल ने स्पष्ट किया कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आप काशी आए हैं, वह ज्ञानवापी मैं ही हूं, यानी मैं ही भगवान विश्वनाथ हूं। इसी क्रम में योगी ने ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्य बताया और उसे साक्षात शिव कहा।

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बता दें कि मुख्यमंत्री दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं हिन्दुस्तानी एकेडेमी उप्र प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आज गोरखपुर में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। नाथ पंथ की परंपरा ने जाति, मत, मजहब और भाषा का कभी अनादर नहीं किया, सब को सम्मान दिया, सबको जोड़ने का प्रयास किया।