
माता प्रसाद । फाइल फोटो।
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क]। अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद यह चर्चा जोरों पर थी कि अब सदन में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। यह जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। सबसे ज्यादा चर्चा तो अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव को लेकर थी। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और तूफानी सरोज का नाम भी शामिल था। हालांकि अखिलेश ने इन अटकलों को दरकिनार करते हुए रविवार को माता प्रसाद पांडेय को यह जिम्मेदारी सौंपी है। अब वह यूपी विधानसभा में सपा दल की अगुवाई करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि माता प्रसाद पांडेय कौन है। आखिर अखिलेश ने इन पर भरोसा क्यों किया।
मुलायम के खास रहे माता प्रसाद ….
माता प्रसाद की सियासत पारी काफी लंबी है। वह सिद्धार्थनगर जिले की इटवा विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह सात बार विधायक रह चुके हैं। खास बात यह है कि माता प्रसाद को मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे। उनको मुलायम का खासमखास माना जाता था। वह यूपी विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। मुलायम के बाद माता प्रसाद को अखिलेश का करीबी माना जाता है। राममनोहर लोहिया, जनेश्वर मिश्रा और बृजभूषण तिवारी की धारा की खांटी सपाई विचारधारा वाले माता को सपा का विश्वसनीय चेहरा माना जाता है।
माता बाबा नाम से लोकप्रिय रहे …
81 साल के माता प्रसाद अपने समर्थकों के बीच ‘माता बाबा’ के नाम से लोकप्रिय हैं। करीब पांच दशक से समाजवादी धारा की राजनीति कर रहे माता प्रसाद सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सात बार के विधायक माता प्रसाद को मुलायम सिंह यादव का खासमखास माना जाता था। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। माता प्रसाद को अखिलेश का करीबी माना जाता है।
प्रदेश की राजनीति में वह कद्दावर नेता की पहचान रखते हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को बेहद अहम जिम्मेदारी देते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया है। अब माता प्रसाद पांडेय सत्र के दौरान सपा की आवाज को बुलंद करेंगे और जनहित के मुद्दों को सदन में उठाएंगे।
क्या है राजनीतिक करियर …
वह पहली बार 1980 में जनता पार्टी से विधानसभा में पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 1985 और 1989 के विधानसभा चुनाव में भी विधायक बने। वर्ष 1991 में राम मंदिर लहर में इन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1996 के चुनाव में भी इन्हें फिर से पराजय का सामना करना पड़ा। 2002, 2007 और 2012 में ये फिर से विधानसभा पहुंचे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सतीश द्विवेदी के हाथों इन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2022 में जीत हासिल कर सातवीं बार विधानसभा पहुंचे। वह मुलायम सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री भी रहे।