
सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मार्या। फाइल फोटो।
नई दिल्ली [TV 47 न्यूजनेटवर्क] । उत्तर प्रदेश भाजपा में लोकसभा चुनाव में निराशाजनक परिणाम के बाद से सियासी घमासान चरम पर है और राजनीतिक हालात काफी विस्फोटक हैं। बुधवार का दिन भाजपा के लिए काफी सरगर्मी वाला रहा। चर्चाएं चलती रहीं कि कुछ बड़ा होने वाला है। रात होते-होते म्यानों से बाहर आईं तलवारें वापस म्यानों में चली गयी, किंतु सभी खेमें तलवारों को धार देते रहे। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पार्टी नेताओं के साथ यूपी के राजनीतिक हालात पर मंथन करता रहा। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा। लेकिन देर रात को दो दिन के दिल्ली प्रवास के बाद बगावत का झंडा उठाने वाले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य खुश-खुश लौटे। राजनीति के जानकारों ने कयास लगाए कि उन्हें कोई ठोस भरोसा मिला है। किधर जाएगी भाजपा की राजनीति, क्या फिर मुख्यमंत्री योगी का कल्याण सिंह जैसा हश्र होगा अथवा वह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब होंगे? इस पर पढिए मुकेश पंडित की खास रिपोर्ट……
दिल्ली में लगा नेताओं का मजमा…
दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक घंटे वार्ता चली। चौधरी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की जैसी गत बनी उस पर विस्तार से पीएम मोदी को बताया और अपनी एक रिपोर्ट सौंपी। राज्य में पार्टी संगठन और आपसी खींचतान पर भी चर्चा की। इससे पहले उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की। पार्टी सूत्र बताते हैं कि चौधरी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को वर्तमान स्थिति से अवगत कराया है। चौधरी से मुलाकात के बाद अमित शाह प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे तो उप्र में योगी आदित्यनाथ और उनके समर्थकों की धड़कने बढ़ गयीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रहे सक्रिय…..
उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शिड्यूल बुधवार को काफी व्यस्त रहा। विधानसभा के दस सीटों के उपचुनाव को लेकर योगी अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ सक्रिय दिखे। दिन भर वार्ता का दौर जारी रहा। उपचुनाव जीतने की रणनीति पर मंथन हुआ। मंत्रियों की उपचुनाव में बतौर प्रभारी के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया गया। देर शाम को सीएम योगी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मिलने पहुंचे, जिसे शिष्टाचार भेंट बताकर चर्चाओं पर विराम लगाने का प्रयास किया गया।
बगावत का झंडा उठाए हैं केशव मौर्य….
बता दें कि पिछड़ों के सबसे बड़े नेता उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लोकसभा चुनाव के बाद से ही लगातार योगी की सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बार-बार वह सवाल उठा रहे हैं कि सरकार से बड़ा संगठन है। जाहिर है उनके निशाने पर योगी हैं। असल में उनके मन में मुख्यमंत्री न बनने की टीस है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जबरदस्त बहुमत मिला था। उस वक्त राज्य में चुनाव केशव प्रसाद के नेतृत्व में ही लड़ा गया था। पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं ने खुलकर भाजपा का साथ दिया था, लेकिन जब मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो लाटरी योगी आदित्यनाथ की लगी। उन्हें डिप्टी सीएम के पद से ही सब्र करना पड़ा। वर्ष 2022 के चुनाव में भी भाजपा को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ । हालांकि, केशव प्रसाद अपना चुनाव हार गये और दूसरी बार भी योगी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री ही बने रह गये।
कौन हटाना चाहता है योगी को…..
योगी आदित्यनाथ के कट्टर समर्थक मानते हैं कि सबसे बड़े हिंदू सम्राट के रूप में उभरे योगी आदित्य नाथ को सत्ता से हटाने के लिए गुजरात लाबी भी सक्रिय है। क्योंकि योगी इस लाबी को बिल्कुल पसंद नहीं करते। लगातार अड़गें डालते हैं, जिससे अमित शाह काफी नाखुश रहते हैं। एक सवाल यह भी है कि क्या उप्र में भाजपा को हरवाने के लिए केशव प्रसाद ने लोकसभा चुनाव में अखिलेश से सांठगांठ की और ओबीसी वोट इंडिया गठबंधन को डलवा दिया। ताकि योगी केंद्रीय नेतृत्व की नजरों में कमजोर हो जाएं। ऐसा होने पर केशव के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो जाएगी। खैर, यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा में शुरू हुई बगावत किसकी बलि लेकर शांत होगी।