
डा एसके पांडेय।
प्रज्ञा मिश्रा (टीवी 47, न्यूज नेटवर्क), : आप न तो शराब कभी पीते हैं और न ही दारू का पैग मारते हैं। बाहर का खाना भी ज्यादा नहीं खाते, अपने खान-पान को संतुलित रखते हैं। इसके बावजूद लिवर खराब हो जाए तो दिमाग घनचक्कर बन जाता है। इस तरह के मामले लगातार सामने आने से डॉक्टर भी हैरान हैं। अभी तक शराब-दारू का ज्यादा सेवन करने वाले या खान-पान में अधिक तेल, मसाला, बाहर के अशुद्ध, असंतुलित खान-पान से ही लिवर खराब होने के मामले सामने आते रहे हैं। मगर अब ऐसे लोगो के लिवर खराब पाए जा रहे हैं जिनका उक्त चीजो से दूर -दूर का नाता नही है।
लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्वेद संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में आयुर्वेदाचार्य रहे डॉ. एसके पांडेय के पास इस तरह के सैकड़ों मरीज आए तो वह भी हैरान रह गए। इसमें सिर्फ बुजुर्ग और महिलाएं ही नहीं, बल्कि काफी संख्या में बच्चे और युवा भी शामिल थे। डॉ. एसके पांडेय ने तब लोगों के तेजी से लिवर खराब होने का कारण पता लगाने की जिद ठान ली और रिसर्च शुरू कर दिया। हालांकि उन्हें संस्थान की तरफ से रिसर्च कार्य हेतु सहयोग नहीं मिल सका। मगर मरीजों की भलाई के लिए डॉ. पांडेय ने अपनी नौकरी तक को दांव पर लगा दिया। कई वर्षों तक खुद के पैसे रिसर्च करने के बाद वह आखिरकार उस नतीजे तक पहुंच ही गए, जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है। वर्षों के शोध के बाद लोगों के लिवर खराब होने की जो वजह सामने आई, उसके बारे में जानकर हर किसी के होश उड़ जाएंगे।
रिसर्च में सामने आया लिवर खराब होने का सच
डॉ. एसके पांडेय ने बताया हैरानी इस बात से थी कि शहरी लोगों के अलावा ग्रामीणों के लिवर में भी खराबी मिल रही थी। इसमें फैटी लिवर से लेकर लिवर सिरोसिस, क्रोनिक लिवर, लिवर फेल्योर जैसे मामले भी शामिल हैं। डॉ. पांडेय कहते हैं कि हमने रिसर्च में पाया कि जिन मरीजों को लिवर की समस्या हो रही है, उनके रक्त में अमोनिया का स्तर बढ़ा हुआ था। लोगों ने हिस्ट्री में बताया कि वह शराब-दारू नहीं पीते हैं। बाहर का खाना-पीना भी नहीं है। ज्यादातर लोग घर का बना भोजन ही करते थे। जांच में पाया गया कि वह जो भोजन कर रहे थे, उसमें रासायनिक खादों और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल अधिक हो रहा था। यानि फसलों में यूरिया, अमोनिया जैसी रासायनिक खादों का इस्तेमाल बढ़ने से लोगों के लिवर पर इसका असर पड़ रहा है। इस वजह से ब्लड में अमोनिया का स्तर बढ़ा पाया जा रहा। इसी के चलते लोगों के लिवर फैटी होने से लेकर लिवर सिरोसिस और क्रोनिक लिवर की समस्याएं हो रही हैं।

आयुर्वेदिक उपचार से मिलने लगी राहत
डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि मरीजों का आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया गया और उनके खान-पान में अमोनिया रहित भोजन शामिल कराया गया तो लिवर की समस्याओं में सुधार होने लगा। मरीजों को पुनर्नवा, मकोय और भुई आमला जैसी औषधियों का डोज दिया गया। उन्होंने बताया कि इससे अमोनिया का स्तर कम होता है। मरीज को राहत मिलने लगती है। मगर जब अमोनिया का स्तर रक्त में बढ़ता है तो लिवर और किडनी की सेल टूटने लगती है। इससे लिवर के साथ किडनी भी खराब हो सकती है।
केस स्टडी
बाराबंकी जिले में हैदरगढ़ के त्रिवेदीगंज की रहने वाली सरयू देवी के लिवर में भी पानी भर गया था। अमोनिया का स्तर बढ़ा पाया गया। आयुर्वेदिक उपचार शुरू होने के कुछ महीने में ही राहत मिलने लगी। लिवर का पानी भी निकाल दिया गया। इसी तरह लखनऊ के गोमतीनगर निवासी इंद्र प्रकाश पांडेय भी लिवर सिरोसिस की शिकायत के साथ आए। उनका अमोनिया स्तर 152.8 पहुंच गया था। जबकि इसका औसत 17 से 90 के बीच होना चाहिए। 2 मार्च 2024 को इनका इलाज शुरू हुआ और 7 अप्रैल 2024 को 1 महीने बाद दोबारा जांच कराई गई तो अमोनिया का स्तर घटकर 89.4 पर आ गया। इसी तरह अन्य मरीजों को भी आयुर्वेदिक उपचार से राहत मिल रही है।