
योगी आदित्यनाथ के डीएनए बयान
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अयोध्या और संभल में मुग़ल शासक बाबर की सेना द्वारा किए गए आक्रमणों की तुलना बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा से की। इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। आदित्यनाथ का कहना था कि दोनों घटनाओं के डीएनए में समानता है और यह समाज में विभाजन पैदा करने वाले तत्वों के खिलाफ एक चेतावनी है। इस बयान ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत विपक्षी नेताओं को उकसाया है, जिन्होंने इसका तीखा विरोध किया है।
योगी आदित्यनाथ का बयान- बाबर और बांग्लादेश का संदर्भ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामायण मेला के उद्घाटन के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर समाज ने एकता को महत्व दिया होता, तो देश कभी गुलाम नहीं बनता। हमारे तीर्थ स्थल अपवित्र नहीं होते और मुट्ठी भर आक्रांता हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाते।” योगी आदित्यनाथ ने सीधे तौर पर कहा कि 500 साल पहले बाबर के जनरल ने अयोध्या और संभल में जो किया, वही आज बांग्लादेश में हो रहा है। उनका कहना था कि इन घटनाओं की प्रकृति और डीएनए में कोई अंतर नहीं है।
योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि अगर कोई सोचता है कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा भारत में नहीं होगी, तो वह भ्रमित है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि विभाजनकारी ताकतें देश में सक्रिय हैं और समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं।
अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री के डीएनए बयान पर अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनहोंने कहा कि योगी आदित्यनाथ को डीएनए के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। अगर वह डीएनए की बात करते हैं तो मैं भी टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं, लेकिन उन्हें भी अपना डीएनए टेस्ट कराना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि एक संत और भगवा वस्त्र धारण करने वाले व्यक्ति को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को विज्ञान और बायोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी होनी चाहिए। यादव का कहना था कि इस प्रकार के बयान समाज में और भी अधिक बंटवारा करने की कोशिश हैं।
बता दें कि हाल ही में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। खासकर जब से शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद वहां की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश में हो रही सांप्रदायिक हिंसा को भारत में आने वाली संभावित चुनौती के रूप में देखा। उनका कहना था कि यह केवल भारत के पड़ोस में हो रहा है, लेकिन अगर हम सावधान नहीं रहे तो यह हमारे देश में भी हो सकता है।
राजनीति में सांप्रदायिक बंटवारा
मुख्यमंत्री के बयान पर अब तक विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच तीखी बयानबाजी जारी है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस प्रकार के बयान समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का काम करते हैं। वहीं सत्ताधारी दल का कहना है कि ये बयान समाज को जागरूक करने के लिए दिए गए हैं ताकि लोग विभाजनकारी तत्वों से सावधान रहें।