
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की अग्निपरीक्षा
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव 2024 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व के लिए एक अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। अब तक के रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि उपचुनाव में अक्सर सत्ताधारी पार्टी को सफलता मिलती है, लेकिन यह उसके कामकाज की एक बड़ी परीक्षा भी होती है। इन उपचुनावों के परिणाम यूपी के राजनीतिक समीकरण को बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं और योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता की परीक्षा का मानक बन सकते हैं।
चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
विश्लेषकों के अनुसार ये उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े संकेत होंगे। इस चुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इसलिए पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारा है। यदि इस उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ता है, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पकड़ को चुनौती मिल सकती है।
भाजपा की ओबीसी रणनीति
भाजपा ने इस बार ओबीसी समुदाय को साधने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जो पिछले दो लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी की सफलता का प्रमुख कारण बना है। लेकिन 2024 में ओबीसी समुदाय के गैर-यादव तबके ने इंडिया गठबंधन की ओर रुझान दिखाया है, जिससे बीजेपी की चिंता बढ़ी है। सीएसडीएस लोकनीति के सर्वे के अनुसार, भाजपा को पिछली बार की तुलना में ओबीसी जातियों का कम समर्थन मिल रहा है।
जातिगत समीकरण और चुनावी गणित
सीएसडीएस के सर्वे में दर्शाया गया है कि भाजपा को ऊंची जातियों का 79 फीसद वोट मिला, जबकि इंडिया गठबंधन को 16 फीसद वोट प्राप्त हुए। हालांकि, ओबीसी मतदाताओं के बीच इंडिया गठबंधन ने अपना प्रभाव बढ़ाया है। इसके अलावा, गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित मतदाताओं के बीच भाजपा का समर्थन पहले की तुलना में घटा है।
पिछले चुनावों के परिणाम
उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने 43 सीटें जीतीं, जिसमें समाजवादी पार्टी की 37 और कांग्रेस की 6 सीटें शामिल थीं। भाजपा ने 33 सीटें जीतीं और आरएलडी तथा अपना दल एस ने भी कुछ सीटों पर जीत दर्ज की। 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 273 सीटें प्राप्त की थीं।
अभी उपचुनाव की सीटों में समाजवादी पार्टी के पास करहल, कटेहरी, कुंदेरकी, सीसामऊ सीटें थीं, जबकि भाजपा के पास गाज़ियाबाद, खैर और फूलपुर सीट थी।
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