
UP CM Yogi Aditya Nath File Photo
लखनऊ,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की निजी सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) नीति को और अधिक सरल और व्यवस्थित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनकी यह टिप्पणी यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 के दौरान प्राप्त निवेश प्रस्तावों के संदर्भ में आई है, जिसमें से लगभग 10 प्रतिशत प्रस्ताव पीपीपी परियोजनाओं से संबंधित थे।
निवेश प्रस्तावों का बढ़ता उत्साह
योगी आदित्यनाथ ने राज्य की पीपीपी नीति के सकारात्मक परिणामों की सराहना करते हुए कहा कि इस नीति के तहत मिल रहे प्रस्तावों में तेजी आई है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 में कुल निवेश प्रस्तावों में से लगभग 10 प्रतिशत पीपीपी परियोजनाओं से संबंधित थे, जो इस नीति के प्रभावी होने का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंकड़ा राज्य की आर्थिक स्थिति और पीपीपी मॉडल की सफलता को दर्शाता है।
नई पीपीपी नीति की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य की नई पीपीपी नीति के तहत कुछ अहम सुधारों की आवश्यकता है, जिनमें परियोजनाओं के चयन, स्टेकहोल्डर परामर्श, निविदा तैयार करने की प्रक्रिया, भूमि अधिग्रहण और अनुबंधों के मसलों को बेहतर तरीके से संभालने की आवश्यकता है। उनके अनुसार, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार को एक ऐसी नीति तैयार करनी चाहिए, जो इन सभी पहलुओं को प्रभावी ढंग से और सरल तरीके से निष्पादित कर सके।
पीपीपी परियोजनाओं की सफलता का महत्व
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीपीपी मॉडल की सफलता को राज्य के विकास में महत्वपूर्ण बताया। उनका मानना है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी से राज्य की बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जा सकता है, और इसके माध्यम से रोजगार सृजन, सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार और आर्थिक विकास की गति में तेजी लाई जा सकती है।