
यूपी विधानसभा में अतुल प्रधान का निष्कासन।
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को एक असाधारण घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया। समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पूरे सत्र के लिए निष्कासित कर दिया। इस फैसले के बाद सपा विधायकों ने सदन के भीतर और बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
स्वास्थ्य पर बहस और हंगामे की शुरुआत
घटना उस समय शुरू हुई जब विधानसभा में स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर बहस हो रही थी। समाजवादी पार्टी के विधायकों ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठाए। इस दौरान अतुल प्रधान और राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अध्यक्ष को दखल देना पड़ा, लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
अध्यक्ष का कड़ा कदम
दोपहर करीब 1:55 बजे, अध्यक्ष सतीश महाना ने अतुल प्रधान को सदन से बाहर जाने का आदेश दिया। प्रधान ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिसके बाद मार्शल बुलाए गए और उन्हें सदन से बाहर ले जाया गया। इसके तुरंत बाद, स्पीकर ने पूरे शीतकालीन सत्र के लिए अतुल प्रधान को निष्कासित करने का ऐलान किया।
शिवपाल यादव का तीखा बयान
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “योगी सरकार के मंत्री ने हमारे सदस्य पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद कार्रवाई केवल अतुल प्रधान के खिलाफ की गई। यह अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
इस घटना पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “समाजवादी पार्टी अब पूरी तरह से बौखला गई है। सदन में उनकी अनर्गल बयानबाजी जनता देख रही है। लोकसभा चुनाव में उनकी असफलता के बाद अब विधानसभा में भी उनकी स्थिति कमजोर हो गई है।” मौर्य ने दावा किया कि सपा का भविष्य अब पूरी तरह से अंधकारमय है।
सदन का माहौल
सदन में हंगामे के बाद की स्थिति तनावपूर्ण रही। विपक्षी विधायकों ने अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ नारेबाजी की। इसके कारण विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
निष्कासन के बाद राजनीतिक माहौल गर्म
अतुल प्रधान के निष्कासन ने राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है। समाजवादी पार्टी के विधायकों ने विधानसभा के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया। शिवपाल यादव ने कहा कि यह केवल सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। उन्होंने इसे विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास बताया।
सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में कई स्थानों पर प्रदर्शन किए, जिनमें मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरना भी शामिल है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विपक्ष को दबाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
इस बीच, भाजपा ने इसे “सदन की मर्यादा बनाए रखने” का कदम बताया। भाजपा के नेताओं ने कहा कि विधानसभा में अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और यह निर्णय उसी दिशा में उठाया गया है।Focus Keyphrase: यूपी विधानसभा में अतुल प्रधान का निष्कासन।