
यूपी उपचुनाव 2024 की फाइल फोटो।
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश में हो रहे 2024 उपचुनाव की नौ विधानसभा सीटों पर जनता का ध्यान केंद्रित है। करहल, कटेहरी और सीसामऊ जैसी प्रमुख सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) की पकड़ मजबूत रही है। इन सीटों को सुरक्षित रखना पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सीटों पर चुनावी समीकरण कुछ हद तक बदल चुके हैं, जिससे सपा की स्थिति पर गहरा असर हो सकता है।
करहल, कटेहरी, और सीसामऊ जैसी सीटों पर सपा की स्थिति मजबूत है, लेकिन बदलते समीकरण और भाजपा की आक्रामक रणनीति इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सीटों के नतीजे यूपी के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करेंगे और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अहम संकेत प्रदान करेंगे।
करहल विधानसभा सीट: अखिलेश यादव का गढ़
करहल सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है और यहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार भाजपा ने ओबीसी मतदाताओं को साधने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि अगर ओबीसी समुदाय का समर्थन भाजपा को मिल गया, तो करहल सीट पर सपा के लिए स्थिति मुश्किल हो सकती है।
कटेहरी विधानसभा सीट: सपा के लिए अहम
कटेहरी सीट पर सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। विशेषज्ञों के अनुसार यह सीट भी जातिगत समीकरणों पर निर्भर है। भाजपा इस बार ओबीसी और गैर-यादव समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी है, जो सपा के लिए चुनौती हो सकती है। वहीं, इंडिया गठबंधन के तहत सपा ने इस सीट पर विकास और रोजगार के मुद्दे पर जोर दिया है।
सीसामऊ विधानसभा सीट: मुस्लिम वोटरों की भूमिका
सीसामऊ सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सपा का यहां मजबूत जनाधार है, लेकिन बीजेपी ने भी इस क्षेत्र में अपने प्रचार अभियान को तेज किया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इंडिया गठबंधन की ओर मुस्लिम वोटर्स का झुकाव बना रह सकता है, जिससे सपा को लाभ मिल सकता है। हालांकि, मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं को देखते हुए यह सपा के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं कही जा सकती।
विशेषज्ञों की राय: सपा की चुनौती बढ़ी
चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि इन तीन प्रमुख सीटों पर सपा के सामने चुनौती है। बीजेपी ने इन सीटों पर अपने स्थानीय उम्मीदवारों के माध्यम से ओबीसी और गैर-यादव मतदाताओं को साधने की कोशिश की है। यदि बीजेपी को इन समुदायों का अपेक्षित समर्थन मिला, तो सपा की जीत की संभावना प्रभावित हो सकती है।
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