
योगी सरकार ने हड़ताल पर लगाई रोक।
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और संविदा कर्मियों की हड़ताल और धरना-प्रदर्शन पर आगामी 6 महीनों के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश उत्तर प्रदेश अति आवश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत लागू किया गया है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार ने यह निर्णय बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा 7 दिसंबर से प्रस्तावित हड़ताल को ध्यान में रखते हुए लिया है। पावर कॉरपोरेशन के अनुसार, पूर्वांचल और दक्षिणांचल वितरण निगमों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत चलाने की योजना का विरोध करने के लिए कर्मचारियों ने हड़ताल का आह्वान किया था। हड़ताल से आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता था, इसलिए सरकार ने यह कठोर कदम उठाया।
1- आदेश के मुख्य बिंदु:
a- सरकारी सेवाएं प्रभावित न हों: आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकहित में कोई भी आवश्यक सेवा बाधित न हो।
b – संविदा कर्मियों पर भी लागू: न केवल स्थायी सरकारी कर्मचारी, बल्कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी भी इस आदेश के तहत हड़ताल नहीं कर सकेंगे।
c- प्रशासनिक तैयारी: पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने जिला अधिकारियों, पुलिस कमिश्नरों, और मंडलायुक्तों को पत्र लिखकर किसी भी संभावित धरना या हड़ताल को रोकने के निर्देश दिए हैं।
d – कानूनी आधार: यह आदेश उत्तर प्रदेश अति आवश्यक सेवाओं के अनुरक्षण अधिनियम 1966 की धारा 3 के तहत जारी किया गया है।
e- जनहित पर प्रभाव: हड़ताल से आम जनता की समस्याएं बढ़ सकती थीं। बिजली जैसे अति आवश्यक सेवा क्षेत्र में हड़ताल से जनजीवन ठप होने की आशंका थी।
2- फैसले के प्रभाव
a- पावर कॉरपोरेशन को राहत: इस आदेश से पावर कॉरपोरेशन को राहत मिली है, क्योंकि निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों की हड़ताल टल जाएगी।
b- जनता को फायदा: सरकारी सेवाओं में रुकावट न होने से आम जनता को आवश्यक सेवाएं बिना किसी परेशानी के मिलती रहेंगी।
c- कर्मचारियों में नाराजगी: हालांकि, इस फैसले से कर्मचारियों के बीच असंतोष बढ़ सकता है।
लोकहित में लिया गया निर्णय
सरकार का मानना है कि सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल से आम जनता को गंभीर असुविधा हो सकती है। खासकर बिजली विभाग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हड़ताल से जनजीवन प्रभावित होने की आशंका थी।