
Top 10 News UP TV 47 न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ [ रमेश मिश्र ] । उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर यूपी में सियासी पारा चढ़ने लगा है। भदोही से विनोद कुमार बिंद के सांसद निर्वाचित होने के बाद मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। आज हम चर्चा करेंगे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट (Majhawan Assembly Seat) की। अभी इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। आइए जानते हैं इस सीट का क्या है इतिहास…
वीवीआइपी सीट में हुआ करती थी गणना
पांच विधानसभाओं वाले मिर्जापुर जिले के मझवां विधानसभा का एक अपना अलग इतिहास है। इस सीट पर कांग्रेस और बसपा का दबदबा रहा है। इस सीट पर सपा की कभी जीत नहीं हुई। मझवां सीट 1969 तक रिजर्व थी। 1974 में पहली बार यह सीट सामान्य हुई। यहां से कांग्रेस के रूद्र प्रसाद सिंह विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। यह विधानसभा 1989 तक प्रदेश के वीआईपी विधानसभाओं में शुमार थी। यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे। मंत्री बनने वालों में पंडित लोकपति त्रिपाठी,रूद्र प्रसाद सिंह, भागवत पाल प्रमुख हैं। हालांकि, 1993 के बाद इस क्षेत्र से कोई भी मंत्री नहीं बना। इसके चलते यह क्षेत्र विकास की दौड़ में काफी पीछे रह गया।
कांग्रेस का था दबदबा
1952 में विधानसभा का चुनाव हुआ। उसी समय मझवां विधानसभा सीट भी अस्तित्व में आ गई थी। मझवां, कछवां का जो क्षेत्र था वह सदर विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे। मझवां विधानसभा सीट लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही। कांग्रेस ने आठ बार इस सीट से चुनाव जीता। बसपा ने पांच बार और भाजपा को दो बार और भारतीय जन संघ, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल को एक-एक बार सफलता मिली है।
2017 के चुनाव में अपना दल (एस) और भाजपा गठबंधन ने जिले की पांचों सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी यहां सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा से शुचिस्मिता मौर्य यहां से विजयी हुई थीं। दूसरे नंबर पर रमेश बिंद को 66680 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था। वहीं सपा के रोहित शुक्ला को 44212 मत मिले थे।
क्या है इस सीट का जातीय समीकरण
जातिगत आंकड़ों की बात किया जाए तो यहां पर कुल मतदाताओं संख्या 391245 है। इसमें सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं। इसके बाद दलित और बिंद समाज की संख्या है। ब्राह्मण 84 हजार, दलित 61 हजार, बिंद 60 हजार, यादव 35 हजार, क्षत्रिय 11 हजार, भूमिहार 20 हजार, मौर्या 33 हजार, मुस्लिम 20 हजार, पाल 20 हजार, पटेल 22 हजार और प्रजापति 10 हजार हैं।
10 विधानसभा सीटों पर होने हैं उपचुनाव
उत्तर प्रदेश के 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीख भले ही मुकर्रर नहीं हुई है, लेकिन सूबे की सियासत तेज हो गई है। यह उपचुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी है। भाजपा केंद्रीय संगठन की पैनी नजर इस चुनाव पर टिकी है। उधर,समाजवादी पार्टी का यह विश्वास है कि उपचुनाव के नतीजे सूबे में होने वाले विधानसभा की दशा और दिशा तय करेंगे। यही वजह है कि सपा ने इस उपचुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। उधर, यूपी में बहुत दिनों तक मौन रहीं बसपा प्रमुख मायावती भी सक्रिय हो गईं हैं। इसलिए इस उपचुनाव के नतीजे न केवल यूपी बल्कि केंद्र की राजनीति की दशा और दिशा तय करेंगे।
अब तक जीते विधायक
1952 – कांग्रेस – बेचन राम
1957 – कांग्रेस – बेचन राम
1960 – कांग्रेस – बेचन राम
1962 – भारतीय जनसंघ – रामकिशन
1967 – कांग्रेस – बेचन राम
1969 – कांग्रेस – बेचन राम
1974 – कांग्रेस – रूद्र प्रसाद सिंह
1977 – संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी – शिवदास
1980 – कांग्रेस – पंडित लोकपति त्रिपाठी
1985 – कांग्रेस – पंडित लोकपति त्रिपाठी
1989 – जनता दल – रूद्र प्रसाद सिंह
1991 – बसपा – भागवत पाल
1993 – बसपा – भागवत पाल
1996 – भाजपा – रामचंद्र मौर्य
2002 – बसपा – डॉ. रमेश चंद बिंद
2007 – बसपा – डॉ. रमेश चंद बिंद
2012 – बसपा – डॉ. रमेश चंद बिंद
2017 – भारतीय जनता पार्टी – शुचिस्मिता मौर्य
2022 – भारतीय जनता पार्टी – विनोद कुमार बिंद