
उत्तर प्रदेश में लेखपालों के हलके में निवास की अनिवार्यता
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] उत्तर प्रदेश में लेखपालों के कार्यक्षेत्र में सुधार और जनता की सेवा में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। अब से सभी लेखपालों को अपने हलके में ही निवास करना अनिवार्य होगा। यह कदम राजस्व मामलों की प्रक्रियाओं में देरी को रोकने और जन सेवा को प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है।
आयुक्त ने जिलाधिकारियों को दिया निर्देश
उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद की आयुक्त मनीषा त्रिघाटिया ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस नियम का पालन सुनिश्चित करें। आयुक्त ने कहा कि लेखपालों का अपने हलके में निवास करना आवश्यक है ताकि वे तत्काल घटनाओं पर प्रतिक्रिया दे सकें और जन समस्याओं का समाधान तेजी से कर सकें।
लेखपाल सेवा नियमावली 2006 का महत्व
यह निर्णय लेखपाल सेवा नियमावली 2006 के तहत लिया गया है, जो लेखपालों के कर्तव्यों और उनके स्थानिक दायित्वों से संबंधित है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह पाया गया कि कई लेखपाल अपने हलके में निवास नहीं करते, जिसके कारण कई राजस्व मामलों में देरी हो रही थी। यह स्थिति जनता और जनप्रतिनिधियों के लिए परेशानी का कारण बन रही थी।
जनता और जनप्रतिनिधियों की शिकायतें
जनता और जनप्रतिनिधियों द्वारा इस मुद्दे पर कई बार शिकायतें की जा चुकी थीं कि लेखपालों का हलके में निवास न करना उनके कार्यों में विघ्न डालता है। इससे न केवल कामकाज में देरी होती है, बल्कि जन सेवाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने यह निर्णय लिया कि लेखपालों को उनके हलके में ही निवास करने की आवश्यकता है।
लेखपालों के हलके में निवास के लाभ
इस निर्णय से कई फायदे होंगे। सबसे पहले, जब लेखपाल अपने हलके में रहेंगे, तो वे क्षेत्रीय समस्याओं से बेहतर अवगत रहेंगे और त्वरित समाधान प्रदान कर सकेंगे। इससे स्थानीय जनता को भी राहत मिलेगी और उनके कामकाज में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा, यह कदम प्रशासनिक कार्यों में दक्षता और समय प्रबंधन को भी बढ़ावा देगा।
जिलों में निगरानी का महत्व
जिलाधिकारियों को इस नियम की सख्ती से निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी लेखपाल अपने हलके में निवास कर रहे हैं और उनकी कार्यक्षमता में सुधार हो रहा है। निगरानी के लिए विशेष समितियों का गठन भी किया जा सकता है, जिससे यह प्रक्रिया और अधिक प्रभावी हो सके।