
उपद्रवियों के पोस्टर
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में संभल शहर में हुई हिंसा के मामले में उपद्रवियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। सरकार का कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से की जाएगी। इसके लिए उनकी पहचान के लिए जगह-जगह उनके पोस्टर लगाए जाएंगे।
हिंसा का विवरण
संभल शहर के मोहल्ला कोट पूर्वी में स्थित जामा मस्जिद के पास पिछले रविवार को एक सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और एक उप जिलाधिकारी समेत 25 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हिंसा के दौरान हुए पथराव और आगजनी से सार्वजनिक संपत्ति को गंभीर नुकसान हुआ था।
पोस्टर लगाने की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उपद्रवियों की पहचान के लिए उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे। इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों को उपद्रवियों के खिलाफ सूचित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा, उपद्रवियों की गिरफ्तारी में सहायता करने वाले लोगों को सरकार द्वारा पुरस्कार देने का भी प्रावधान है।
सरकार की पूर्ववर्ती पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2020 में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की थी। उस समय भी आरोपियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए थे। हालांकि, अदालत के आदेश के बाद ये पोस्टर हटा दिए गए थे।
सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान और पुलिस कार्रवाई
संभल हिंसा के मामले में पुलिस ने सात मुकदमे दर्ज किए हैं, जिनमें से एक मुकदमा समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर रहमान बर्क और उनके परिवार के सदस्य सुहेल के खिलाफ भी दर्ज है। पुलिस का कहना है कि हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का कड़ा संदेश
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उपद्रवियों के पोस्टर लगाने की योजना के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति हिंसा और उपद्रव की घटना को अंजाम देने से पहले कई बार सोचे।
इस निर्णय को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक वर्ग का मानना है कि यह कदम राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जबकि कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं।