
राहुल गांधी और अखिलेश यादव। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, [TV 47 न्यूजनेटवर्क]। UP Assembly by-election: लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस गंठबंधन को बड़ा राजनीतिक लाभ मिला है। इस गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी के 400 के नारे पर ब्रेक लगा दिया। यूपी के चुनावी नतीजों ने भाजपा संगठन की नींद उड़ा दी है। भाजपा संगठन की बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि वर्ष 2027 में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं, और इसके पहले यहां उपचुनाव होने हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या दो युवकों (अखिलेश यादव और राहुल गांधी) की जोड़ी यूपी में बरकरार रहेगी। क्या प्रदेश में भाजपा को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर उपचुनाव लड़ेंगे? भले ही यह यूपी विधानसभा का उपचुनाव है, लेकिन देश की नजर इस पर टिकी होगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजनीति में न कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है न कोई स्थायी दुश्मन। कांग्रेस को जब तक सपा के साथ गठबंधन का लाभ दिख रहा है, तब तक दोनों दल साथ हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मकसद किसी भी तरह से भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकना था। यही कारण था कि विभिन्न विचारधारा वाले लोग एक मंच पर दिखाई दिए। हालांकि, पूरा विपक्ष अपने मिशन में सफल तो नहीं हुआ लेकिन भाजपा को लोकसभा में पूर्ण बहुमत में आने से रोक दिया।
हालांकि, इस बार आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में दो लड़कों की जोड़ी राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच सियासी कैमिस्ट्री बहुत अच्छी दिखी, जो उपचुनाव में भी दिख सकती है। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों राजनीतिक दलों के बीच मनभेद उभर सकता है। कांग्रेस पश्चिम यूपी के साथ-साथ पूर्वांचल के इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने का योजना बना सकती है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सपा इस पर राजी होगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का भी प्रदर्शन बेहतर रहा है। लिहाजा पार्टी अपने लिए भी स्पेस चाहती है। उधर, लोकसभा चुनाव के बाद सपा के हौसले भी बुलंद हैं। ऐसे में वह कांग्रेस की इस मांग का कितना मानती है।
कांग्रेस पार्टी भी इस उपचुनाव में सपा से सीटों की मांग कर रही है। हालांकि, यह समय बताएगा कि दोनों दलों के बीच कितनी सीटों पर समझौता होता है। यह माना जा रहा है कि सपा उपचुनाव में कांग्रेस को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट दे सकती है, लेकिन यूपी कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए पांच सीटों का चयन किया है। इसमें फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवा और गाजियाबाद सीट है।
अंदरखाने से यह खबर है कि कांग्रेस, सपा की 2022 में जीती हुई विधानसभा सीटों पर वह दावा नहीं कर रही है। वह एनडीए के कब्जे वाली सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने साफ कहा कि गाजियाबाद सीट को हम नहीं लेंगे पश्चिमी यूपी में मीरापुर और खैर सीट पर उपचुनाव लड़ने की तैयारी पार्टी कर रही है। पूर्वांचल की फूलपुर और मझवा सीट को लेकर कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का मन बनाया है। कांग्रेस पूर्वांचल और पश्चिमी दोनों ही इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है।
गौरतलब है कि यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन वर्ष 2024 के आम चुनाव में भाजपा को सियासी मात देने में सफल रहे हैं। यह प्रयोग सफल रहा है। अब बारी यूपी में होने 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की है। इसमें नौ सीटों पर विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई हैं। यूपी की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव है, उसमें करहल, मीरापुर, खैर, फूलपुर, मझवा, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ सीट है। इनमें से पांच विधानसभा सीटें सपा कोटे की खाली हुई हैं तो तीन सीटें भाजपा की रिक्त हुई हैं। इसके अलावा एक सीट आरएलडी और एक सीट निषाद पार्टी की है। यह उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए काफी अहमियत रखता है, लेकिन उससे पहले सीट बंटवारा भी कम अहम नहीं है।
इंडिया गठबंधन के पाास लोकसभा चुनाव की तर्ज पर उपचुनाव में भी आपसी समन्वय बनाकर अच्छा प्रदर्शन दिखाकर 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन को और मजबूत करने का मौका है। यह संकेत मिल रहे हैं सपा यूपी में कांग्रेस को सीटें देने को लेकर एक अलग रणनीति पर काम करती दिख रही है। सपा यूपी में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देने के मूड में है, जिसमें एक सीट अलीगढ़ की खैर और दूसरी गाजियाबाद सीट है। पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल की एक भी सीट नहीं दे रही है।