
यूपी के विभिन्न जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंता का कारण बन चुकी है। यह समस्या राज्य के विभिन्न जिलों में अलग-अलग स्तर पर महसूस की जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के माध्यम से प्रदूषण के स्तर का आकलन किया जाता है। पिछले कुछ महीनों में यूपी के प्रमुख शहरों और जिलों में AQI का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) और प्रदूषण का स्तर
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक माप है, जो वायु प्रदूषण के स्तर को निर्धारित करता है। AQI का मान 0 से 500 तक होता है। इसमें 0-50 के बीच का स्तर अच्छा, 51-100 सामान्य, 101-200 खराब, 201-300 बहुत खराब और 301-500 खतरनाक श्रेणी में आता है। यूपी के विभिन्न जिलों में AQI का स्तर इन श्रेणियों में आता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
यूपी के प्रमुख जिलों में AQI का स्तर
- लखनऊ
यूपी की राजधानी लखनऊ में हाल ही में प्रदूषण के सबसे अधिक प्रभावित शहरों में शामिल हुआ है। यहां AQI का स्तर 250-300 तक पहुंच चुका है, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। खासतौर पर सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है, क्योंकि ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषण का स्तर जमा रहता है। - कानपुर
कानपुर में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 280-320 के बीच बना रहता है, जो इसे खतरनाक श्रेणी में डालता है। यहां औद्योगिकीकरण, वाहनों से होने वाला प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या प्रमुख कारण हैं। - आगरा
आगरा में AQI 230-270 के बीच रहता है, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। यहां पर्यटकों की संख्या अधिक होने और बढ़ते वाहनों की संख्या के कारण प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। - मेरठ
मेरठ में वायु गुणवत्ता सूचकांक 180-220 के बीच रहता है, जो खराब श्रेणी में आता है। यहां पराली जलाना और निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। - गाजियाबाद
गाजियाबाद में AQI 300 से ऊपर तक पहुंच चुका है, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। यहां की वायु प्रदूषण की समस्या प्रमुख रूप से वाहनों के अत्यधिक प्रयोग, उद्योगों और कचरा जलाने के कारण है।
प्रदूषण के प्रभाव
उच्च AQI स्तर का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इससे श्वसन प्रणाली, हृदय और आंखों की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है।
यूपी में वायु प्रदूषण पर योगी सरकार के आदेश
योगी सरकार ने प्रदूषण के इस संकट से निपटने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं ताकि राज्यवासियों को स्वच्छ वायु मिल सके और प्रदूषण की वजह से स्वास्थ्य पर हो रहे प्रभाव को कम किया जा सके।
1- पराली जलाने पर प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश में पराली जलाना प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। योगी सरकार ने इस पर कड़ी रोक लगाई है और किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। सरकार ने किसानों के लिए आर्थिक प्रोत्साहन की योजना बनाई है ताकि वे पराली को जलाने के बजाय उसे उपयोगी तरीके से निस्तारित करें। इसके अलावा राज्य सरकार ने जुर्माना भी लागू किया है यदि कोई किसान पराली जलाता है।
2- सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देना
यूपी में बढ़ते प्रदूषण का एक कारण वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी है। योगी सरकार ने सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इसके तहत पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों की संख्या को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पर्यावरण मित्र (इको-फ्रेंडली) बनाने के लिए सीएनजी बसों की संख्या में भी वृद्धि की जा रही है।
3- निर्माण कार्यों से धूल नियंत्रण
योगी सरकार ने निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। सभी निर्माण कार्यों में पानी का छिड़काव अनिवार्य किया गया है, ताकि धूल और प्रदूषण का स्तर कम हो सके। इसके अलावा, सरकारी निर्माण परियोजनाओं में प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए भी सख्त आदेश जारी किए गए हैं।
4- स्कूलों और कॉलेजों की अस्थायी बंदी
वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए योगी सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया है। खासतौर पर प्रदूषण के उच्चतम स्तर वाले क्षेत्रों में बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा, विद्यार्थियों को स्कूल जाने से बचाने के लिए परिवहन के इको-फ्रेंडली विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
5- आपातकालीन योजना और ट्रैफिक नियंत्रण
योगी सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन योजना भी बनाई है। जब प्रदूषण का स्तर अधिक हो जाता है, तो ट्रैफिक को नियंत्रित करने और अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता नियंत्रण प्राधिकरण की निगरानी भी तेज की गई है।