
यूक्रेनी मूल के महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी
प्रयागराज [अपर्णा मिश्रा ]। रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। इस युद्ध के कारण जहां एक ओर मानवता कराह रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ संत और आध्यात्मिक गुरु शांति और सद्भावना का संदेश देने में लगे हुए हैं। ऐसे ही एक संत हैं यूक्रेनी मूल के महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी, जो यूक्रेनी मूल के होने के बावजूद भारतीय सनातन संस्कृति और वेदांत के अद्वितीय ज्ञान से रूस और यूक्रेन के बीच शांति का मार्ग प्रशस्त करने में जुटे हैं।
वेदांत से विश्व शांति की पहल
महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी न केवल स्वयं वेदांत का पाठ पढ़ा रहे हैं, बल्कि उनके हजारों अनुयायी भी इस कार्य में पूर्ण समर्पण के साथ लगे हुए हैं। उनके आश्रम और पूरे परिसर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो कोई लघु वैदिक भारत बस गया हो। रूस और यूक्रेन से आए युवक और युवतियाँ वेदांत अध्ययन में तल्लीन हैं। यह नजारा दर्शाता है कि भारतीय सनातन परंपरा और गुरुओं के प्रति उनकी गहरी आस्था है।

महामंडलेश्वर जी का मानना है कि वेदांत का ज्ञान केवल एक धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए है। उनका कहना है कि यदि मनुष्य अपने भीतर आत्मबोध और सत्य का ज्ञान प्राप्त कर ले, तो बाहरी द्वंद्व स्वतः समाप्त हो सकता है। उनके अनुसार, युद्ध और संघर्ष का मूल कारण अज्ञान और अहंकार है, जिसे केवल आत्मज्ञान और वेदांत के माध्यम से दूर किया जा सकता है।
महाकुंभ में वेदांत का प्रचार
भारत में चल रहे महाकुंभ के अवसर पर महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी ने अपना शिविर लगाया है, जहाँ देश-विदेश से आए संतों और श्रद्धालुओं को वेदों का तात्त्विक ज्ञान प्रदान किया जा रहा है। उनके प्रवचनों में न केवल भारतीय बल्कि अनेक विदेशी अनुयायी भी उपस्थित होते हैं। वेदांत के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाने की उनकी शैली लोगों को गहराई तक प्रभावित कर रही है।
उनका आश्रम एक अद्भुत आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है, जहाँ ध्यान, योग, वेदों का अध्ययन, और सनातन संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है। यह स्थान उन लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है जो जीवन में शांति और आत्मबोध की खोज में हैं।
रूसी और यूक्रेनी युवाओं में वेदांत के प्रति बढ़ती रुचि
रूस और यूक्रेन के युवा, जो युद्ध की त्रासदी से पीड़ित हैं, वे वेदांत के ज्ञान को अपनाकर मानसिक शांति और आत्मबोध प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी ने इन युवाओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया है और उन्हें सिखाया है कि वे किस प्रकार अपनी चेतना को जागृत कर सकते हैं

आश्रम में आने वाले युवाओं का कहना है कि वे युद्ध की भयावहता से उबरने के लिए वेदांत का सहारा ले रहे हैं। वे बताते हैं कि वेदांत का ज्ञान उन्हें आंतरिक शांति, संयम और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में सहायता कर रहा है।
सनातन संस्कृति का वैश्विक प्रभाव
भारतीय सनातन संस्कृति की विशेषता यही है कि यह किसी एक जाति, धर्म या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी सिद्धांत प्रदान करती है। महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी की इस पहल ने साबित कर दिया है कि शांति, प्रेम और सह-अस्तित्व ही मानवता का सबसे बड़ा धर्म है। वेदांत का यह संदेश केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे संपूर्ण विश्व में फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
शांति स्थापना के प्रयासों की सराहना
महामंडलेश्वर जी की इस अद्भुत पहल की विश्वभर में सराहना हो रही है। अनेक देशों के आध्यात्मिक गुरु, विद्वान और नीति-निर्माता भी उनके प्रयासों की प्रशंसा कर रहे हैं। उनका यह प्रयास सिद्ध करता है कि जब विश्व अशांत होता है, तब संतों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उनका संदेश न केवल युद्ध से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान कर रहा है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा बन रहा है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की विभीषिका के बावजूद, महामंडलेश्वर विष्णुदेवानंद गिरी जी के प्रयासों से यह स्पष्ट हो जाता है कि शांति की स्थापना केवल हथियारों से नहीं, बल्कि ज्ञान और आध्यात्मिकता से संभव है। वेदांत के संदेश को अपनाकर न केवल रूस और यूक्रेन के लोग बल्कि संपूर्ण विश्व एकता, प्रेम और शांति की ओर अग्रसर हो सकता है। उनके द्वारा दिया गया यह अद्भुत संदेश संपूर्ण मानवता के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त कर रहा है।