
ट्रिपल तलाक की फाइल फोटो।
प्रयागराज, [TV 47 न्यूजनेटवर्क] : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रिपल तलाक तलाक -ए-बिद्दत को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि तलाक ट्रिपल तलाक है या नहीं यह तथ्य का विषय है और ट्रायल कोर्ट में साक्ष्य लेकर तय होगा। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल कर दाखिल चार्जशीट या केस कार्रवाई रद नहीं की जा सकती।
अदालत ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून की धारा 3/4 के तहत जारी समन रद करने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा है भारतीय दंड संहिता की धारा 494 (एक बीवी के रहते दूसरी शादी करने पर ) दंड के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 198 अदालत को संज्ञान लेने से रोकती है। इसलिए इस धारा में जारी समन अवैध होने के नाते रद किया जाता है। याची के खिलाफ केवल ट्रिपल तलाक के आरोप में ही ट्रायल चलेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने थाना खोराबार , गोरखपुर के जान मोहम्मद की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। याची की तरफ से अधिवक्ता सैयद वाजिद अली ने बहस की। इनका कहना था कि याची के खिलाफ ट्रिपल तलाक का केस नहीं बनता, क्योंकि उसने एक माह के अंतराल पर तलाक की तीन नोटिस देने के बाद तलाक दिया है। यह तलाक -ए-बिद्दत नहीं है और धारा 494के अपराध पर कोर्ट को संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। यह धारा 198से वर्जित है,यदि पीड़िता ने शिकायत न की हो। पीड़िता ने दूसरी शादी की शिकायत नहीं की है। इसलिए याची के खिलाफ दायर चार्जशीट समन और केस कार्रवाई रद की जाए।
सरकारी वकील का कहना था कि याची के बेटे सलमान खान ने भी तीन तलाक दिए जाने का बयान दिया है। साथ ही शिकायतकर्ता के तीन तलाक देने के आरोप पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और अदालत ने उस पर संज्ञान भी लिया है। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि प्रथम दृष्टया याची पर अपराध नहीं बनता। इसलिए याचिका खारिज की जाय।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के भजन लाल केस सहित तमाम केसों का हवाला देते हुए कहा कि यदि प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा होता है तो हाई कोर्ट चार्जशीट, प्राथमिकी रद नहीं कर सकती। उसे केस के तथ्यों की जांच करने का अधिकार नहीं है।केवल असामान्य स्थिति में ही केस कार्यवाही रद की जा सकती है,जहां प्रथमदृष्टया अपराध का खुलासा नहीं हो रहा हो। कोर्ट ने धारा 494की कार्रवाई रद कर दी है किन्तु कहा है कि धारा 3/4 डब्ल्यू एम एक्ट के तहत केस चलेगा।