
सिंघाड़ा: एक पोषण से भरपूर जलीय फल
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। सिंघाड़ा, जिसे वॉटर चेस्टनट भी कहते हैं, एक जलीय फल है। यह मुख्य रूप से पानी में उगता है। इसे भारत में खासतौर पर सर्दियों के मौसम में खाया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन बी6 और पोटैशियम के साथ-साथ कैल्शियम और मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे यह हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी है।
किन रोगों में लाभदायक है सिंघाड़ा ?
- थायरॉइड के लिए वरदान
सिंघाड़ा थायरॉइड ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसमें आयोडीन की उच्च मात्रा होती है, जो थायरॉइड हार्मोन को संतुलित रखने में मदद करती है। इसके नियमित सेवन से थायरॉइड की समस्याओं में सुधार देखा गया है। - हृदय रोग में सहायक
सिंघाड़ा में मौजूद पोटैशियम हृदय के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक है, जिससे हृदय की कार्यक्षमता बेहतर रहती है और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। - त्वचा की समस्याओं के इलाज में सहायक
सिंघाड़ा विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो त्वचा के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। यह त्वचा की सूजन, झुर्रियां और मुँहासों को कम करने में सहायक है। - रक्त की कमी (एनीमिया) में फायदेमंद
सिंघाड़ा में आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जो एनीमिया जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है। यह रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है, जिससे शरीर में ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।
सिंघाड़े का उपयोग कैसे करें?
आप सिंघाड़े का सेवन कई रूपों में कर सकते हैं। इसे उबालकर, सलाद में मिलाकर या कच्चे रूप में भी खा सकते हैं। सिंघाड़े का आटा भी उपयोग में लाया जा सकता है, जो उपवास में भी खाया जाता है।
सिंघाड़ा अपने पोषक तत्वों के कारण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसे अपने आहार में शामिल कर आप थायरॉइड, हृदय रोग, त्वचा की समस्याएं और एनीमिया जैसी बीमारियों से बच सकते हैं।