
न्यायिक आयोग ने किया हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा
संभल [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले महीने हुई हिंसा ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस हिंसा का कारण मस्जिद स्थल पर एक पुराने हरिहर मंदिर के दावे के संबंध में किए गए सर्वेक्षण से जुड़ा था। इस घटना ने सुरक्षा, प्रशासन और सामाजिक ताने-बाने के संबंध में कई सवाल खड़े किए।
न्यायिक आयोग की जांच प्रक्रिया
इस हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग के प्रमुख इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन ने रविवार को शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान, उन्होंने शाही जामा मस्जिद और उसके आस-पास के इलाकों का निरीक्षण किया। इस दौरे में मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, पुलिस उपमहानिरीक्षक मुनिराज जी संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार भी शामिल थे।
जांच का उद्देश्य और टीम की गतिविधियां
मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि यह दौरा मुख्य रूप से घटनास्थल का निरीक्षण करने के लिए था। आयोग ने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां हिंसा हुई थी और मस्जिद का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि टीम ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों से बातचीत की,लेकिन मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया। आयोग के तीसरे सदस्य पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद, इस दौरे में शामिल नहीं थे।
सुरक्षा स्थिति और प्रशासन की तैयारी
मुरादाबाद के अधिकारियों ने बताया कि जिले की सुरक्षा स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। फिलहाल, जिलाधिकारी के आदेशानुसार 10 दिसंबर तक हिंसा प्रभावित संभल शहर में बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस आदेश का उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना है और इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों को आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार है।
हिंसा में शामिल व्यक्तियों की पहचान
पुलिस ने हिंसा में शामिल 400 व्यक्तियों की पहचान कर ली है और जांच प्रक्रिया जारी है। आयोग को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, हालांकि सरकार से अनुमति मिलने पर इस समयसीमा को बढ़ाया जा सकता है। आयोग इस बात की भी जांच करेगा कि 24 नवंबर को हुई हिंसा एक सुनियोजित आपराधिक साजिश का हिस्सा थी या नहीं और पुलिस व प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा करेगा।
इमाम और मस्जिद प्रबंधन समिति की प्रतिक्रियाएं
शाही जामा मस्जिद के इमाम आफताब हुसैन वारसी ने बताया कि आयोग की टीम करीब 15 मिनट तक मस्जिद में रुकी और इसका निरीक्षण किया। मस्जिद प्रबंध समिति के सचिव मसूद फारूकी ने कहा कि टीम ने उनसे कोई सवाल नहीं पूछा, बल्कि सिर्फ मस्जिद और घटनास्थल का निरीक्षण किया।