
एएसआई ने जामा मस्जिद सर्वे में जवाब दाखिल किया
संभल [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अदालत में अपना जवाब पेश किया है। एएसआई ने इस मस्जिद को एक संरक्षित विरासत संरचना के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसका नियंत्रण और प्रबंधन अपने पास रखने का अनुरोध किया है। एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने बताया कि 1 दिसंबर को अदालत में प्रस्तुत किए गए जवाब में एएसआई ने मस्जिद के प्रबंधन समिति और स्थानीय निवासियों से सर्वेक्षण के दौरान प्रतिरोध का सामना करने की बात स्वीकार की है।
एएसआई का तर्क: 1920 से संरक्षित स्थल
एएसआई ने अपने जवाब में साल 1920 से शाही जामा मस्जिद को एक संरक्षित स्थल के रूप में अधिसूचित करने का हवाला दिया। इसके अनुसार, मस्जिद एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आती है और इस पर किए जाने वाले किसी भी संरचनात्मक बदलाव या प्रबंधन में एएसआई का नियंत्रण होना चाहिए। वकील विष्णु शर्मा ने कहा कि मस्जिद में प्रवेश की अनुमति और किसी भी तरह के बदलाव के लिए एएसआई के नियमों का पालन करना आवश्यक है।
2018 की घटना का जिक्र
एएसआई ने 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया, जिसमें मस्जिद की सीढ़ियों पर बिना अनुमति के स्टील रेलिंग लगाई गई थी। इस मामले में मस्जिद की प्रबंधन समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। एएसआई का कहना है कि इस तरह के अनधिकृत बदलाव गैरकानूनी हैं और इन्हें रोकने के लिए अदालत से आदेश की आवश्यकता है।
अदालत में प्रक्रिया और आगे की योजना
पिछली 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद अदालत में यह मामला गरमाया। इस दिन, अदालत के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा था, जब हिंसा भड़क गई थी और चार लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसका नेतृत्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं।
न्यायिक आयोग की जिम्मेदारी
आयोग के दो सदस्य, पूर्व आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन, 1 दिसंबर को संभल पहुंच चुके हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह जांचना है कि क्या हिंसा अपने आप हुई या यह किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। आयोग को हिंसा के कारणों का विश्लेषण करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है।
सुरक्षा और प्रशासन की भूमिका
आयोग के गठन और एएसआई के तर्क के बीच पुलिस और प्रशासन ने भी स्थिति को संभालने के लिए अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि 2 दिसंबर से आयोग के सदस्य मामले पर विचार-विमर्श करेंगे। सुरक्षा व्यवस्था के तहत, किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरे क्षेत्र में कड़ी निगरानी रखी जा रही है।