
संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसीया
संभल [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगा दी है। यह कदम विशेष रूप से इसलिए उठाया गया है क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था, जिससे प्रशासन को यह डर था कि स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है।
प्रशासन का आदेश
संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसीया ने एक बयान में कहा,कोई भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। इस आदेश के तहत जिले में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से किसी भी प्रकार की बाहरी गतिविधियों को रोकने की कोशिश की गई है। प्रशासन का मानना है कि इससे इलाके में स्थिति स्थिर रहेगी और किसी भी प्रकार के और हिंसक घटनाओं को टाला जा सकेगा।
सपा का प्रतिनिधिमंडल
इस आदेश के तुरंत बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक बयान जारी कर इसे घोर निंदनीय और अलोकतांत्रिक करार दिया। सपा ने आरोप लगाया कि सरकार ने सपा के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोकने के लिए पुलिस तैनात कर दी थी। सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा, “यह सरकार संभल हिंसा का सच छिपा रही है, और हम इस मामले की जांच करना चाहते हैं।”
सपा ने यह भी कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय की अगुवाई में शनिवार को संभल जाने वाला था, लेकिन अब प्रशासन ने उनके दौरे को टालने के लिए यह कदम उठाया। इस बीच, अजय राय, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भी घोषणा की कि कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल दो दिसंबर को संभल जाएगा।
संभल हिंसा का पृष्ठभूमि
संभल में 19 नवंबर को जामा मस्जिद का पहला सर्वेक्षण किया गया था, जिसके बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश तब जारी किया था जब एक याचिका में दावा किया गया था कि जामा मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था। 24 नवंबर को जब मस्जिद का दूसरा सर्वेक्षण किया गया, तो स्थिति और बिगड़ गई और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 25 लोग घायल हो गए।
इस हिंसा के बाद से प्रशासन ने संभल जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। एक ओर जहां राजनीतिक दल मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के आने पर रोक लगा कर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है।
सरकार और विपक्ष के बीच टकराव
माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि गृह सचिव संजय प्रसाद ने उन्हें फोन करके संभल न जाने का अनुरोध किया था, जबकि संभल के जिला मजिस्ट्रेट ने भी उन्हें बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक को 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। पांडेय का कहना था कि सरकार शायद अपनी गलतियों को छिपाने के लिए उन्हें रोक रही है, क्योंकि उनके दौरे से कई अहम जानकारी सामने आ सकती है।
सुरक्षा के उपाय
सपा नेताओं के घरों पर पुलिस तैनात किए जाने के बाद, उनके आवास के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसे लेकर सपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जबकि प्रशासन का कहना है कि यह कदम इलाके में शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक था। पुलिस और प्रशासन ने कहा कि उनकी प्राथमिकता शांति की बहाली है, और बाहरी लोगों का आगमन इससे स्थिति को और जटिल बना सकता है।
संभल में शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीतिक दल अपनी कार्रवाइयों को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं। 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाने के प्रशासनिक आदेश ने एक ओर जहां शांति व्यवस्था को प्राथमिकता दी है, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौती बन सकता है। आगामी दिनों में इस मामले पर स्थिति स्पष्ट हो सकती है, जब राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल अपनी जांच रिपोर्ट पेश करेंगे।