
साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार 2024
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। साहित्य अकादमी ने पहली बार अपने प्रतिष्ठित बाल साहित्य पुरस्कार का वितरण कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित किया। अकादमी के 70 वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर था जब यह आयोजन लखनऊ में संपन्न हुआ। इस समारोह में 21 भारतीय भाषाओं के बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। विजेताओं को उत्कीर्ण ताम्रफलक और 50,000 रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई। पुरस्कार वितरण का यह आयोजन अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा किया गया।
पुरस्कार के विजेता और उनकी रचनाएं
साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार 2024 के अंतर्गत विभिन्न भारतीय भाषाओं के 21 साहित्यकारों को चुना गया। हिंदी के लिए देवेंद्र कुमार, कश्मीरी के लिए मुज़फ़्फ़र हुसैन दिलबर, मराठी के लिए भारत सासणे, नेपाली के लिए वसंत थापा, पंजाबी के लिए कुलदीप सिंह दीप, राजस्थानी के लिए प्रहलाद सिंह ‘झोरड़ा’ और संस्कृत के लिए हर्षदेव माधव को सम्मानित किया गया। उर्दू साहित्यकार शम्सुल इस्लाम फारूकी और सिंधी साहित्यकार लाल होतचंदानी ‘लाचार’ खराब स्वास्थ्य के कारण समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।
बच्चों के विकास में रही है अहम भूमिका
अकादमी के सचिव श्रीनिवास राव ने इस अवसर पर कहा कि बाल साहित्य बच्चों के संतुलित विकास में अहम भूमिका निभाता है। उनके अनुसार, बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशीलता को बढ़ाता है और समाज में अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित करता है। इस कार्यक्रम के अध्यक्षीय वक्तव्य में माधव कौशिक ने कहा कि बाल साहित्य लेखन के लिए बच्चों की दृष्टि से सोचना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी मुस्कान को बरकरार रखना भी एक चुनौती है।
बाल साहित्य का भविष्य
समारोह के मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बाल साहित्य के इतिहास और परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य को बच्चों की नई पीढ़ी के अनुसार पठनीय और रोचक बनाना होगा ताकि यह बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर सके। माधव कौशिक ने भी कहा कि पहले अनेक महत्वपूर्ण साहित्यकारों ने बाल साहित्य पर प्रचुर मात्रा में लेखन किया था, लेकिन अब यह परंपरा घटती जा रही है। उन्होंने इसे बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार 2024 न केवल बाल साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने का एक कदम है, बल्कि बच्चों के साहित्य को समृद्ध करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास भी है। बच्चों के लिए साहित्य का लेखन कठिन है, लेकिन यह बालकों के मानसिक विकास और सामाजिक व्यवहार को प्रभावित करता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बाल साहित्य को बढ़ावा मिलना बच्चों के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।