
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत। फाइल फोटो
नई दिल्ली, [टीवी 47 नेटवर्क]। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद संघ और भाजपा नेताओं की ओर से एक दूसरे पर जिस तरह के परस्पर विरोधी बयान सामने आए उससे यह प्रतीत होता है कि संगठन और भाजपा के बीच कुछ न कुछ अनबन जरूर है। इन बयानों के आधार पर कोई यह कह सकता है कि संघ और भाजपा के संबंधों में कुछ तल्खी जरूर आई है। आखिर संघ और भाजपा की ओर कौन से तल्खी वाले बयान सामने आए हैं। दोनों पक्षों की ओर से क्या कहा गया। इन परस्पर विरोधी बयानों के क्या मायने हैं।
400 पार के नारे से संघ और भाजपा में अनबन
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से 400 पार के नारे से संघ संतुष्ट नहीं था। जिस तरह के संघ के शीर्ष नेताओं के बयान सामने आए है उससे यह लगता है कि इस नारे से संघ का बहुत सरोकार नहीं था। यह नारा संघ के गले नहीं उतरा। यहीं कारण है कि भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद संघ ने इस नारे की आड़ में भाजपा और अप्रत्यक्ष रूप से मोदी की निंदा शुरू कर दी। चुनाव परिणाम आते ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की निंदा की और अगले ही दिन संघ के मुखपत्र ने भाजपा नेताओं की आलोचना की।
क्या कहा था सरसंघचालक मोहन भागवत ने
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी परिणाम का विश्लेषण करते हुए कहा था कि …. जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है. गर्व करता है, लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है।
मणिपुर पर भड़के संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि विकास के लिए देश में शांति जरूरी है। देश में अशांति है और काम नहीं हो रहा है देश का अहम हिस्सा मणिपुर एक वर्ष से जल रहा है नफरत ने मणिपुर में अराजकता फैला दी है। उन्होंने मौजूदा एनडीए सरकार को सलाह दी थी कि वहां हिंसा रोकना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्रधान सेवक पर कटाक्ष…
प्रधानमंत्री अक्सर अपने आप को प्रधान सेवक कहते हैं। संघ प्रमुख ने अपने भाषण में इस सेवक शब्द का उल्लेख किया था। संघ प्रमुख ने कहा कि देश को निस्वार्थ एवं सच्ची सेवा की ज़रूरत है, जो मर्यादा का पालन करता है… उसमें अहंकार नहीं होता और वह सेवक कहलाने का हकदार होता है।
विपक्ष को लेकर सरकार को पढ़ाया पाठ
संघ प्रमुख ने देश में एक सकारात्मक राजनीति का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि सत्ता और विपक्ष की अलग-अलग राय है। मूलतः हमें विपक्ष शब्द का प्रयोग करना चाहिए, विरोध का नहीं। वे संसद में अपनी बात रखते हैं। इसका भी सम्मान किया जाना चाहिए।
संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश ने कहा
आम चुनाव के नतीजों के ठीक बाद संघ के दूसरे नेता इंद्रेश कुमार का भी बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने सत्ता रूढ़ भाजपा को अहंकारी और संयुक्त विपक्ष इंडिया गठबंधन को राम विरोधी बताया है। संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2024 में राम राज्य का विधान देखिए, जिनमें राम की भक्ति थी और धीरे-धीरे अहंकार आ गया। इसलिए देश की जनता ने 240 सीटों पर रोक दिया। इसके अलावा जिसने राम का विरोध किया उनको भी राम ने शक्ति नहीं दी।
मुखपत्र ने भी भाजपा की निंदा की
चुनाव नतीजों पर समीक्षा का सिलसिला यहीं नहीं रूका। संघ के मुखपत्र आर्गनाइजर ने भी भाजपा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की निंदा की थी। संघ के सदस्य रतन शारदा ने अपने इस लेख में पार्टी और मोदी सरकार की निंदा की। मुखपत्र ने लिखा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के अति आत्मविश्वासी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए आईना है। हर कोई भ्रम में था। किसी ने लोगों की आवाज नहीं सुनी।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान से नाराज था संघ
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने एक अखबार को दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि भाजपा को अब संघ की जरूरत नहीं है, भाजपा राजनीतिक फैसले लेने में पूरी तरह से सक्षम है। नड्डा के इस बयान पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कोई सफाई नहीं दी। उस वक्त इस बयान पर संघ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विरोध की आग अंदर ही अंदर झुलस रही थी। यही कारण है चुनाव के नतीजे आने के बाद संघ ने मोर्चा खोल दिया। नड्डा के बयान से संघ के कई स्वयंसेवकों को ठेस पहुंची है।
जानकारों का कहना है कि दोनों संगठनों के बीच यह मन भेद है, संभव है कि यह सरकार के चलाने के तौर तरीके पर दोनों के बीच मतभेद हो। भाजपा को संघ की जरूरत पड़ सकती है, खासकर गठबंधन सरकार चलाते समय। अगले चार महीनों में महाराष्ट्र समेत तीन राज्यों में चुनाव होने के कारण चुनौतीपूर्ण स्थिति में टीम की जरूरत होगी। ऐसे समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण से मोदी और भाजपा क्या कदम उठाते हैं। भाजपा नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी में है। उस विकल्प से भी संघ और बीजेपी के मौजूदा रिश्तों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद संघ और भाजपा नेताओं की ओर से एक दूसरे पर जिस तरह के परस्पर विरोधी बयान सामने आए उससे यह प्रतीत होता है कि संगठन और भाजपा के बीच कुछ न कुछ अनबन जरूर है। इन बयानों के आधार पर कोई यह कह सकता है कि संघ और भाजपा के संबंधों में कुछ तल्खी जरूर आई है। आखिर संघ और भाजपा की ओर कौन से तल्खी वाले बयान सामने आए हैं। दोनों पक्षों की ओर से क्या कहा गया। इन परस्पर विरोधी बयानों के क्या मायने हैं।