
कहानीकार हिमांशु बाजपेयी
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] । लखनऊ के प्रसिद्ध कहानीकार हिमांशु बाजपेयी ने रूस की राजधानी मास्को में भारतीय फिल्म उद्योग के दो प्रमुख सितारों, राज कपूर और शैलेंद्र की दोस्ती की कहानी सुनाकर सबका दिल जीत लिया। यह कार्यक्रम भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति को रूस में प्रस्तुत करना था। यह विशेष कार्यक्रम पेरेडेलकिनो के ‘राइटर्स विलेज’ में भी हुआ, जो कि साहित्य और कला के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थल है। बाजपेयी के अनुसार यह कार्यक्रम ‘राइटर्स विलेज’ में आयोजित पहला भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम था।
राज कपूर और शैलेंद्र की दोस्ती का सफर
हिमांशु बाजपेयी ने अपने कथा के माध्यम से यह बताया कि कैसे राज कपूर और शैलेंद्र की दोस्ती ने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। शैलेंद्र ने अपनी अनोखी लेखनी और गीत लेखने की कला से कई हिट गानों को जन्म दिया, जैसे कि ‘बरसात, ‘श्री 420’, ‘आवारा’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘संगम’ आदि।
यह कहानी उस समय की है जब शैलेंद्र ने अपनी मशहूर कविता ‘जलता है पंजाब’ को राज कपूर की मौजूदगी में प्रस्तुत किया था। इस कविता ने राज कपूर को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने शैलेंद्र से अपने लिए गाने लिखने का अनुरोध किया, लेकिन शैलेंद्र ने यह कहकर मना कर दिया कि वह केवल पैसे के लिए नहीं लिखते।
जब दोस्ती की शुरुआत हुई
हालांकि, वर्ष 1949 में जब शैलेंद्र को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा, तब राज कपूर ने उनकी मदद के लिए 500 रुपये दिए। यह उनके बीच दोस्ती का पहला कदम था और यहीं से उनकी अनमोल दोस्ती की शुरुआत हुई। बाजपेयी ने बताया कि यह दोस्ती तब और मजबूत हुई जब शैलेंद्र ने ‘आवारा हूं’ जैसे गीत लिखे, जिसे पहले राज कपूर ने खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में वह गीत भारतीय सिनेमा का एक मील का पत्थर साबित हुआ।
कार्यक्रम की विशेषताएं
इस कार्यक्रम में हिमांशु बाजपेयी ने राज कपूर और शैलेंद्र की दोस्ती के अन्य पहलुओं पर भी रोशनी डाली। उन्होंने यह साझा किया कि कैसे शैलेंद्र ने बिना फिल्म की कहानी सुने ही ‘आवारा हूं’ जैसे गीत लिखे। यह गीत बाद में फिल्म की सफलता का अहम हिस्सा बन गया। कार्यक्रम का समापन फिल्म ‘तीसरी कसम’ से जुड़े एक दिलचस्प किस्से के साथ हुआ, जो शैलेंद्र की कला और उनके योगदान को दर्शाता है।
रूसी दर्शकों की सराहना
कार्यक्रम के अंत में मिशन के उपप्रमुख निखिलेश गिरि ने कहा, दास्तान एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली कला है और बाजपेयी इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि हम उन्हें अगले वर्ष फिर से रूस आमंत्रित करेंगे। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित कई रूसी लोगों ने इस भारतीय कला को सराहा और इसके लिए अपनी सराहना व्यक्त की।