
प्रयागराज स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल निलंबन और कार्रवाई
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] । प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल, जो अपने उच्च चिकित्सा मानकों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक बड़े विवाद और प्रशासनिक कार्रवाई का केंद्र बन गया है। यह मामला अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं, लापरवाहियों, कमीशनखोरी और अनुशासनहीनता के आरोपों से जुड़ा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की सख्ती के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत प्रभाव से चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और कुछ की संविदा समाप्त कर दी है। यह कदम अस्पताल में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
हाई कोर्ट की नाराजगी और कार्रवाई का आरंभ
प्रयागराज में स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना कड़ा रुख अपना लिया है। कोर्ट ने अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं, कर्मचारियों की लापरवाहियों और कमीशनखोरी पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो सरकार और संबंधित अधिकारियों को कठोर दंड भुगतना पड़ेगा। कोर्ट की इस नाराजगी को ध्यान में रखते हुए, चिकित्सा शिक्षा विभाग और अस्पताल प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए।
कार्रवाई का आदेश और निलंबन
शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय से कार्रवाई का आदेश जारी हुआ। इस आदेश को तत्काल मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य को भेजा गया। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया कि अस्पताल के उप अधीक्षक गौतम त्रिपाठी, स्टाफ नर्स रंजना लुईस, पुरुष नर्स मनोज कुमार और सफाई निरीक्षक अमरनाथ यादव को निलंबित किया जाए। इसके अतिरिक्त, पुरुष नर्स मनोज कुमार की संविदा समाप्त करने का भी निर्देश दिया गया है।
जांच एवं कारण
अधिकारियों की जांच में पाया गया है कि अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं का कारण जिम्मेदार कर्मचारियों की लापरवाही और अनुशासनहीनता है। वार्ड का निरीक्षण करने पर पता चला कि बेड पर रखी चादरें गंदी और फटी हुई थीं। इस लापरवाही का दोष वार्ड की सिस्टर इंचार्ज रंजना लुईस पर मढ़ा गया है। इसके साथ ही, शाम को नर्स मनोज कुमार की भी लापरवाही सामने आई। जांच में यह भी पता चला है कि गौतम त्रिपाठी को अव्यवस्थाओं और कार्य में रुकावट का मुख्य दोषी माना गया है।
अस्पताल में व्याप्त समस्याएँ
अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाएँ केवल कागजी कार्रवाई या मामूली गड़बड़ी नहीं हैं, बल्कि यह मरीजों की देखभाल और अस्पताल की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं। बेड पर गंदी चादरें, उपकरणों का सही ढंग से न मिलना, सफाई व्यवस्था का अभाव और कर्मचारियों की लापरवाही इन समस्याओं में शामिल हैं। इसके अलावा, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की खबरें भी अस्पताल की व्यवस्था को कमजोर कर रही हैं। इस तरह की घटनाएँ अस्पताल की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती हैं और मरीजों का भरोसा कम करती हैं।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
डॉ. वत्सला मिश्रा, कार्यकारी प्राचार्य, ने कहा कि निरीक्षण के दौरान मिली शिकायतों और जांच में पता चला है कि गौतम त्रिपाठी के नेतृत्व में अस्पताल में कई तरह की अव्यवस्थाएँ पाई गई हैं। उन्होंने कहा कि महानिदेशालय से जारी आदेश का पालन कराया जाएगा और जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अस्पताल की सफाई और व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।
सुधार के कदम और आगे की दिशा
यह कार्रवाई अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार और अस्पताल प्रशासन ने तय किया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। साथ ही, अस्पताल में नियमित निरीक्षण, कर्मचारियों की ट्रेनिंग, और सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, मरीजों की सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता में सुधार के लिए नई नीतियाँ लागू की जाएंगी।