पूर्व विधायक अब्बास अंसारी- फाइल फोटो
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने विवादित बयानों और कार्यशैली के कारण चर्चित प्रयागराज के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी का मामला देशभर में सुर्खियों में है। हाल ही में उनके खिलाफ चल रहे भड़काऊ भाषण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (HC) का फैसला अपेक्षित था। यह फैसला राजनीतिक हलकों, कानूनी विशेषज्ञों, और आम जनता के बीच गहन चर्चा का विषय बना हुआ है। इस लेख में हम इस पूरे मामले की विस्तृत जानकारी, कोर्ट का निर्णय, उसके पीछे के कानूनी आधार, और भविष्य की संभावित घटनाओं का विश्लेषण करेंगे।
आज का फैसला: क्या हो सकता है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी संभाली है। कोर्ट ने इस मामले को 30 जुलाई को रिजर्व कर दिया था। हाईकोर्ट का फैसला इस पूरे विवाद का निर्णायक मोड़ बन सकता है। हाईकोर्ट का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि अदालत ने MP-MLA कोर्ट के फैसले को सही माना या नहीं। यदि हाईकोर्ट ने अंसारी की याचिका खारिज कर दी, तो विधायकी का रद्द होना तय है। यदि राहत मिलती है, तो संभव है कि उनकी विधायकी बरकरार रहे।
भड़काऊ भाषण और विधायकी रद्द करने का कानून
भारतीय संविधान और विधायिका के नियमों के अनुसार, यदि कोई विधायक भड़काऊ भाषण देने या कानून का उल्लंघन करने के कारण अपनी योग्यता खो देता है, तो उसकी विधायकी रद्द की जा सकती है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से धारा 8(4) of Representation of the People Act, 1951 के अंतर्गत आती है।
कोर्ट का निर्णय कैसे प्रभावित कर सकता है?
कोर्ट यदि मानता है कि भाषण भड़काऊ था और उससे विधायकी रद्द की जानी चाहिए, तो यह एक मजबूत कानूनी आधार बनता है कि विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। यदि कोर्ट इस मामले में राहत नहीं देता है, तो अंसारी अपनी विधायकी कायम रख सकते हैं।
यदि विधायकी रद्द होती है
यदि कोर्ट का फैसला अंसारी के खिलाफ जाता है और उनकी विधायकी रद्द हो जाती है, तो इससे प्रयागराज की राजनीति में बड़ा परिवर्तन आएगा। नए चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी, और विपक्षी दलों को एक अवसर मिलेगा।
यदि कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, तो अंसारी फिर से विधायक रहेंगे। यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बन सकता है।
मामला क्यों दर्ज हुआ?
प्रयागराज में हुए एक भाषण में, अंसारी पर आरोप लगा कि उन्होंने धार्मिक सद्भाव को भंग करने वाले भाषण दिए। यह भाषण उस समय सुर्खियों में आया जब उसकी वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसके बाद स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज किया और प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई।
जांच और कोर्ट में मामला
जांच के बाद, पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप था कि अंसारी ने अपने भाषण के माध्यम से धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास किया। इस आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
MP-MLA कोर्ट का फैसला
मामले की सुनवाई MP-MLA कोर्ट में हुई। यहां पर कोर्ट ने उनके भाषण को भड़काऊ मानते हुए जुर्माना लगाया। इस जुर्माने का आदेश 1 जून 2025 तक विधायकी रद्द करने का आधार बना। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला उनके पद पर बने रहने के लिए अनुचित है।
