
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 150 साल पुरानी बावड़ी की खोज
संभल,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी में लक्ष्मण गंज इलाके में एक प्राचीन बावड़ी की खोज हुई है, जो लगभग 150 साल पुरानी है और लगभग 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इस बावड़ी का पता उस समय चला जब चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने खुदाई शुरू की। यह खुदाई भस्म शंकर मंदिर के फिर से खोले जाने के बाद की जा रही थी, जो पिछले लगभग 46 वर्षों से बंद था। इस खबर से स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर इतिहास प्रेमियों और पुरातत्व विशेषज्ञों में खलबली मच गई है।
बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
संभल जिले के इस ऐतिहासिक स्थल का निर्माण लगभग 150 साल पहले हुआ था और इसे बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में बनाया गया था। अधिकारियों के अनुसार, यह बावड़ी ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी संरचना ईंटों और संगमरमर से बनाई गई है। बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर से बनाई गई है, जो इस संरचना की भव्यता और स्थापत्य कला को दर्शाती है।
खुदाई में मिली मूर्तियां और संरचनाएं
खुदाई के दौरान बावड़ी के अंदर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बावड़ी उस समय के शाही शासन का हिस्सा थी। इसके अलावा, अधिकारियों ने बताया कि संरचना में चार कमरे और एक बावड़ी भी शामिल है। इस खुदाई के दौरान अधिकारियों ने ध्यान दिया कि बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर की स्थिति भी खराब हो चुकी है, और उसकी जीर्ण-शीर्ण अवस्था को लेकर चिंता जताई गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण की योजना
संभल के जिला मजिस्ट्रेट, राजेंद्र पेंसिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस स्थल का सर्वेक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी, तो एएसआई से अनुरोध किया जाएगा, ताकि इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित किया जा सके। यह कदम इस संरचना को भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उठाया जाएगा।
मंदिर और आसपास के अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया
चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने हाल ही में जिला कार्यालय को प्राचीन बावड़ी के बारे में जानकारी दी और पास के बांके बिहारी मंदिर की बिगड़ती स्थिति का भी उल्लेख किया। जिला अधिकारी ने आश्वासन दिया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए जाएंगे और इसके आसपास के सभी अतिक्रमणों को हटाया जाएगा। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया जाएगा कि मंदिर और बावड़ी दोनों सुरक्षित रहें और उनका संरक्षण किया जा सके।
भविष्य की योजनाएं
संभल जिले में इस ऐतिहासिक बावड़ी की खोज एक नई दिशा की ओर इशारा करती है। जिला प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस स्थल का संरक्षण प्राथमिकता में रखा जाएगा। बावड़ी के पास स्थित मंदिर को भी पुनः स्थापित करने के लिए कार्य किए जाएंगे, ताकि वह इतिहास और संस्कृति का प्रतीक बना रहे। इसके साथ ही, यह प्रयास किया जाएगा कि इस क्षेत्र को एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सके।