आसियान देशों की बैठक की फाइल फोटो।
नई दिल्ली [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। आधुनिक विश्व में क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका बढ़ती जा रही है, जहां ASEAN (एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस) का स्थान विशेष है। यह संगठन न केवल आर्थिक, सामाजिक, बल्कि सुरक्षा और राजनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ASEAN देशों की बैठक में संबोधन भारत-ASEAN संबंधों के नए आयाम स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
इस खबर में, हम पीएम मोदी के इस महत्वपूर्ण भाषण का विश्लेषण करेंगे, उनके मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करेंगे, साथ ही इसे भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय रणनीतियों के संदर्भ में समझेंगे। साथ ही, इस समीक्षा में यह भी देखा जाएगा कि मोदी का भाषण क्षेत्रीय शांति, आर्थिक सहयोग, और रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के प्रयासों का प्रतिबिंब था।
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1. पीएम मोदी का संबोधन का मुख्य सारांश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ASEAN देशों के साथ अपने संबोधन में भारत की इस क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता और सहयोग के महत्व पर बल दिया। उन्होंने अपने भाषण में निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया:
भारत-ASEAN संबंधों का महत्व
मोदी ने कहा कि भारत और ASEAN का संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से मजबूत है। उन्होंने कहा कि यह संबंध न केवल आर्थिक विकास का आधार हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। मोदी ने कहा कि भारत “Act East Policy” के तहत ASEAN के साथ अपनी भागीदारी को और मजबूत करेगा।
क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता
प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर बल दिया। उन्होंने आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्करी, और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों का उल्लेख किया। मोदी ने ASEAN देशों से संयुक्त प्रयास करने का आह्वान किया ताकि इन चुनौतियों का सामना किया जा सके।
आर्थिक सहयोग और विकास
मोदी ने भारत और ASEAN के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, व्यापार, और निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मोदी ने “Regional Comprehensive Economic Partnership” (RCEP) जैसे समझौतों का उल्लेख किया, जो दोनों पक्षों के लिए लाभकारी हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का “Look East” और “Act East” नीति सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि अनेक ASEAN देशों के साथ भारत की सांस्कृतिक विरासतें गहरी हैं, और ये संबंध भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाते हैं।
2. भारत-ASEAN रणनीति: नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण भारत की नई रणनीति का प्रतिबिंब था, जिसमें वे क्षेत्रीय भागीदारी को मजबूत करने पर जोर दे रहे थे। इस रणनीति के मुख्य स्तंभ निम्नलिखित हैं:
सामरिक भागीदारी
भारत ने ASEAN के साथ अपनी सामरिक भागीदारी को मजबूत करने का संकल्प लिया है। इसमें साझा सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास शामिल हैं। मोदी ने कहा कि भारत का “Security and Connectivity” पर फोकस रहेगा।
आर्थिक सहयोग
भारत ने ASEAN के साथ आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकेत दिया। डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्मार्ट शहर, और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने का लक्ष्य है।
सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध
सांस्कृतिक आदान-प्रदान, छात्रों के बीच सहयोग, और पर्यटन को बढ़ावा देना भी इस रणनीति का हिस्सा है। मोदी ने कहा कि भारत और ASEAN के बीच सांस्कृतिक संबंध दोनों पक्षों के बीच मजबूत होते रहेंगे।
3. क्षेत्रीय सुरक्षा और शांति के लिए मोदी का दृष्टिकोण
पीएम मोदी का भाषण क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने की दिशा में था। उन्होंने कहा कि भारत और ASEAN मिलकर:
- आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई करेंगे।
- समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे।
- साइबर सुरक्षा और नई तकनीकों का उपयोग करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि “Free and Open Indo-Pacific” क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण शांति और स्थिरता का समर्थन करता है।
4. भारत की विदेश नीति में ASEAN का स्थान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में ASEAN को भारत की “Act East” नीति का केंद्रीय स्तंभ बताया। यह नीति भारत को पूर्वी दिशा में अपनी भागीदारी बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि ASEAN के साथ भारत का संबंध प्राचीन समय से रहा है, और वर्तमान में यह संबंध और मजबूत हो रहा है।
आर्थिक संबंध
भारत और ASEAN के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत ASEAN के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी विचार कर रहा है ताकि दोनों पक्षों के लिए लाभकारी व्यापारिक माहौल बन सके।
सुरक्षा संबंध
सामरिक सहयोग, समुद्री सुरक्षा, और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास भारत-ASEAN संबंधों का अभिन्न हिस्सा हैं। मोदी ने इन क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने का आश्वासन दिया।
5. चुनौतियां और अवसर
चुनौतियां
- क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा और शक्ति संघर्ष।
- आतंकवाद और अस्थिरता।
- जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं।
- आर्थिक असमानता और गरीबी।
अवसर
- नई आर्थिक संभावनाएं।
- सांस्कृतिक और सामाजिक आदान-प्रदान।
- आतंकवाद और अपराध के खिलाफ संयुक्त प्रयास।
- समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग।
