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प्रयागराज[ TV 47 न्यूज़ नेटवर्क ] वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में वुजूखाने के एएसआई सर्वे वाली पुनरीक्षण याचिका पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में 22 अगस्त को सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ सुनवाई कर रही है। अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता बीमार होने के कारण सुनवाई टालनी पड़ी। अगली सुनवाई की तिथि 22 अगस्त को दोपहर दो बजे निर्धारित की गई है। याची राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने यह जानकारी दी। वाराणसी जिला अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अर्जी खारिज की है। इस आदेश को ही हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित वजूखाना की एएसआई जांच की मांग याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने याची अधिवक्ता से पूछा था कि वजूखाना का एएसआई सर्वे क्यों कराना चाहते हैं? याची अधिवक्ता ने दलील दी थी कि कथित ज्ञानवापी मस्जिद के धार्मिक चरित्र के निर्धारण के लिए वजूखाना की एएसआई सर्वे जरूरी है। कोर्ट ने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति से काउंटर दाखिल करने के लिए कहा था। अधिवक्ता सौरभ तिवारी, विकास कुमार व अमिताभ त्रिवेदी ने पक्ष रखा।
मामले में याची अधिवक्ता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 के आदेश से वजूखाना क्षेत्र को सुरक्षित और संरक्षित करने का आदेश दिया है, सील नहीं किया है। इसलिए इसकी जांच की जा सकती है। विवादित स्थल में शिवलिंग मिला है। इसलिए वजूखाना की एएसआई जांच जरूरी है, ताकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष विवादित स्थल के धार्मिक चरित्र का निर्धारण हो सके।
कोर्ट ने कहा था कि एएसआई ने पहले ही ज्ञानवापी परिसर की जांच की हुई है। उस रिपोर्ट को देखिए। इसके बाद बताइए कि रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जिसके आधार पर वजूखाना की एएसआई जांच कराई जानी चाहिए। वहीं कोर्ट ने एएसआई के वकील से पूछा था आपकी जांच में क्या मिला है? अधिवक्ता ने कहा कि रिपोर्ट दाखिल की गई है। कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाएगा। वहीं, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति के अधिवक्ता जहीर असगर को जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया था और सुनवाई के लिए अगली तिथि 14 अगस्त निर्धारित की थी।
एएसआई जांच की मांग जिला न्यायालय ने की है खारिज
वज खाना क्षेत्र की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जांच की मांग जिला न्यायाधीश ने 21 अक्तूबर 2023 के आदेश से खारिज कर दी है। इस आदेश को राखी सिंह ने पुनरीक्षण याचिका दायर कर चुनौती दी है। उनका कहना कि इस जांच से वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों को लाभ होगा।