
नोएडा में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्राधिकरण पर तालाबंदी
नोएडा [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। नोएडा में किसानों ने मंगलवार को नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यालय पर तालाबंदी कर दी। इस घटनाक्रम से प्राधिकरण में हड़कंप मच गया और पूरे दिन आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगी रही। किसानों की यह कार्रवाई उनके प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी के बाद हुई, जो कि प्राधिकरण के भीतर से की गई थी।
किसान यूनियन मंच ने शुरू की तालाबंदी
भारतीय किसान यूनियन मंच ने एक महीने से अधिक समय से नोएडा प्राधिकरण के सामने धरना दे रखा है। उनका मुख्य उद्देश्य अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों को चेतावनी देना है। मंगलवार को इस धरने की स्थिति ने उस समय गंभीर मोड़ ले लिया जब दो किसान प्रतिनिधि, जो किसी काम से प्राधिकरण के अंदर गए थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद किसानों में गुस्सा भर गया। उन्होंने प्राधिकरण के गेट नंबर-4 पर ताला जड़ दिया और नारेबाजी शुरू कर दी। उनका कहना था कि अगर उनके प्रतिनिधियों को गिरफ्तार किया गया है तो वे भी जेल में जाने के लिए तैयार हैं।
रिहाई के लिए किसानों ने उठाए कदम
किसानों ने इस घटना के बाद प्राधिकरण के गेट पर तालाबंदी कर दी। पूरे दिन प्राधिकरण में आम लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया, जिससे आवंटियों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। इस दौरान डीसीपी राम बदन सिंह ने किसानों से बातचीत की और उन्हें समझाने का प्रयास किया। किसानों की मांग को लेकर बातचीत के बाद पुलिस ने दोनों गिरफ्तार प्रतिनिधियों को रिहा कर दिया।
किसानों की इस कार्रवाई के चलते प्राधिकरण के अंदर और बाहर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। पूरे दिन प्राधिकरण के भीतर केवल कर्मचारियों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई, जिससे आम जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
किसानों का विरोध और उनकी प्रमुख मांगें
किसानों का विरोध नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और उनकी मांगों के प्रति लापरवाही के खिलाफ है। वे चाहते हैं कि उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाए और समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। किसानों का यह धरना और तालाबंदी उनकी सहनशीलता की सीमा को पार कर गई, जिससे पूरे क्षेत्र में चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा हो गई।
किसानों की प्रमुख मांगें:
- उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण की सही प्रक्रिया।
- भूमि से संबंधित मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता।
- प्रशासनिक फैसलों में किसानों की भागीदारी।
किसानों की मजबूती और उनकी एकता
इस घटनाक्रम से यह साफ है कि किसानों की एकता और उनकी मजबूती ने प्रशासन को उनकी आवाज़ सुनने के लिए मजबूर कर दिया। किसानों के इस कदम ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी मांगों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनके संघर्ष से यह संदेश गया कि उनकी आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
किसानों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए गए इस विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन को भी उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।