फाइल फोटो।
नोएडा [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। नोएडा और दिल्ली NCR क्षेत्र में चल रहे रियल एस्टेट घोटाले का पर्दाफाश करते हुए, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के दौरान, 22 बिल्डर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें बैंकों और बिल्डरों के गठजोड़ की जांच की जा रही है। यह कदम, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सीबीआई की कार्रवाई का कारण क्या है?
सीबीआई ने यह कार्रवाई बिल्डरों की बेईमानी और धोखाधड़ी के खिलाफ की है। कई बिल्डरों ने सबमिशन स्कीम के तहत लोन प्राप्त किया था, जिसमें बैंकों ने बायर्स के नाम पर लोन जारी किए थे। बिल्डरों ने यह वादा किया था कि वे बायर्स की EMI भरेंगे, लेकिन बाद में भुगतान नहीं किया। इससे हजारों बायर्स बैंक करप्ट हो गए, और उनका निवेश डूब गया।
मुख्य बिल्डर और कंपनियों पर FIR
सीबीआई ने कई प्रमुख बिल्डरों और कंपनियों पर FIR दर्ज की है। इनमें शामिल हैं:
- AVJ डेवलपर्स
- अर्थोन यूनिवर्सल बिल्डर
- रुद्रा बिल्डवेल
- शुभकामना बिल्डर
- बुलंद बिलटेक
- साहा इंफ्राटेक
- ड्रीम प्रोटोकॉन
- अजनारा इंडिया
- वाटिका लिमिटेड
- मंजू जे होम्स
इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने बायर्स के साथ धोखाधड़ी की, EMI भरने का आश्वासन दिया, लेकिन भुगतान नहीं किया, जिससे निवेशकों का पैसा डूब गया।
रियल एस्टेट घोटाले के पीछे क्या है?
रियल एस्टेट सेक्टर में कई बार बैंकों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ सामने आता है। बिल्डरों ने बैंक से लोन लेने के बाद, बायर्स के नाम पर लोन किया और EMI भरने का भरोसा दिलाया। लेकिन, जब बिल्डर EMI नहीं भरते, तो बायर्स को नुकसान होता है। इस तरह के घोटालों की वजह से NCR क्षेत्र में निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है।
सरकार और कोर्ट का कदम
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, सीबीआई ने इस घोटाले की जाँच शुरू की। यह कार्रवाई रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने और निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार भी इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए कठोर कदम उठा रही है।
