
यज्ञ सम्राट परम तपस्वी 1008 आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा)
प्रयागराज [ अपर्णा मिश्रा ] यज्ञ सम्राट परम तपस्वी 1008 आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा)। इस कड़ी में हम जानेंगे बाबा की कठोर तपस्या और उनके वैराग्य के बारे में। यह जानते हुए कि आप सब बाबा की भविष्यवाणी जानने के लिए आतुर होंगे। लेकिन इस भविष्यवाणी के पीछे उनके उस कठोर तप और साधना को जानना बेहद जरूरी है, जो एक संत को महातपस्वी की श्रेणी में खड़ा कर देता है। अपनी इस तप की शक्ति के फलस्वरूप ही वह अंतरयामी बन जाता है। और इसी तपस्या के परिणामस्वरूप उसमें भविष्य जानने की शक्ति हासिल हो जाती है।
वार्ता के दौरान बाबा विषय को बदलते हुए सीधे अपने परम पुज्य गुरुदेव पर आ गए। आत्मानंद दास महात्यागी (नेपाली बाबा) ब्रह्मलीन अपने गुरु का नाम कैसे भूल सकते हैं। वह बार-बार अपने गुरु के स्मृतियों में चले जाते हैं। आज भी गुरु का साया उनके साथ है। उनके गुरु के तार अयोध्या धाम से जुड़े हैं। शायद यही कारण है कि बाबा की राम नाम पर अपार श्रद्धा और विश्वास है। बाबा ने कहा कि उनके गुरु परम तपस्वी संत अनंत विभूषित संत नारायण दास जी महराज महात्यागी फटीक शिला अयोध्या धाम जी हैं। खैर, गुरुदेव के बारे में चर्चा फिर कभी आज बाबा के महात्याग और कठोर तप के बारे में जानेंगे, जिसने उनको आत्मानंद दास महात्यागी बना दिया।
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जी हां, यज्ञ सम्राट परम तपस्वी 1008 आत्मानंद दास महात्यागी, जिन्हें लोग प्यार और श्रद्धा से “नेपाली बाबा” कहते हैं। नेपाली बाबा का जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक है। उनकी साधना का हर चरण एक प्रेरणा है। उनके जीवन का हर पहलू एक गहरी आध्यात्मिक सीख है। उन्होंने सांसारिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर अपनी साधना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर घने जंगलों में निवस्त्र होकर 21 वर्षों तक कठोर साधना किया। जंगलों में वह सात वर्षों तक केवल जल और पत्ते खाकर रहे। 14 वर्षों तक वह गौ दूध पर रहे। कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपने इंद्रियों पर विजय पाई, जो किसी भी साधक के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य होता है।
बैराग्य की इस पराकाष्ठा में बाबा ने अपने सभी सांसारिक संबंधों और इच्छाओं को त्याग दिया, जिससे उनका मन और आत्मा पूरी तरह से शुद्ध हो गए। यही शुद्धता उनके भीतर अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों का उदय करती है। भविष्य जानने की शक्ति किसी साधारण व्यक्ति में नहीं होती। इसके लिए आत्मानुभूति और गहन साधना का होना आवश्यक है। नेपाली बाबा ने अपनी तपस्या के माध्यम से न केवल अपने भीतर की चेतना को जागृत किया, बल्कि उस परम सत्ता से भी जुड़ने का प्रयास किया, जिससे उन्हें भविष्य की घटनाओं का ज्ञान होता है।
यह शक्ति केवल तप का ही फल है। जब एक साधक अपनी इंद्रियों और मन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, तब वह उस ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संपर्क में आता है, जो उसे अंतर्यामी और भविष्यवक्ता बना देती है। उनकी भविष्यवाणियां उनकी तपस्या और आत्मिक बल का प्रमाण हैं।
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