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नई दिल्ली [TV 47 न्यूजनेटवर्क] । उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए व इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव के नतीजों से यह तय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पक्ष-विपक्ष के बीच महासंग्राम होना तय है। एक-एक सीट पर जीत के लिए कांटे का मुकाबला होगा। आइए जानते हैं कि इस उपचुनाव को राजनीतिक विश्लेषक किस रूप में देखते हैं। क्या भाजपा को सच में चिंतिंत होने की जरूरत है। क्या यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। ये नतीजे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले जनता के रुख का संकेत देते हैं। इस पूरे मामले में मुकेश पंडित की रिपोर्ट।
यूपी विधानसभा से पहले उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए अग्निपरीक्षा
राजनीतिक विश्लेषक उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के पहले उपचुनाव के नतीजे को सेमीफाइनल के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि उपचुनाव के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सभी दलों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। उपचुनाव में जिस तरह से सात राज्यों की 13 विधानसभा में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की, उससे गठबंधन गदगद है। खासकर सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है। उधर, उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा नेतृत्व में खलबली है। लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन ने पार्टी के हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में प्रदेश पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि इस बैठक के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने में जुटी है। यह इस अभियान का श्रीगणेश है।
बैकफुट पर भाजपा, इंडिया में खुशी की लहर
राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव में जिस तरह के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं, वह भाजपा नेतृत्व को बेचैन करने वाला है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने केंद्र और यूपी की सत्ता में आसीन भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया था। इस उपचुनाव में मोदी मैजिक काम नहीं आया है। दूसरे, उपचुनाव में भाजपा के अंदर कार्यकर्ताओं के बीच अंतर्कलह खुलकर सामने आया है। पार्टी के अदंर खेमेबाजी ने एक-दूसरे को शह मात देने की खबरें छन-छन कर बाहर आईं। उससे एक बात साफ हो गयी कि अनुशासित कही जाने वाली भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाईकमान के फैसलों से भाजपा के कर्मठ व समर्पित कार्यकर्ताओं के मनोबल को जबरदस्त धक्का लगा है।
क्यों जरूरी है यूपी विधानसभा चुनाव
भाजपा नेतृत्व को सबसे बड़ी चिंता यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर है। भाजपा नेतृत्व जानता है कि अगर यूपी से उनका वर्चस्व घटा तो केंद्र की राह कठिन हो जाएगी। इंडिया गठबंधन भी यह बात जानता है कि अगर यूपी से भाजपा को बेदखल कर दिया जाए तो दिल्ली की यह जंग जीती जा सकती है। यही कारण है कि उपचुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा संगठन ने यूपी में अपनी हलचल शुरू कर दी है। यूपी विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा संगठन के स्तर पर सब कुछ ठीक-ठाक करने में जुटी है। दो दिन पहले पूर्व की विस्तारित प्रदेश कार्य समिति की बैठक को इस कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के बयानों से स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा के अंदरूनी हालत ऐसे नहीं है, जैसे ऊपर से दिखाई दे रहे हैं। योगी आदित्यनाथ को अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाने के लिए यह कहना पड़ा है कि वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके विपक्ष के हर हमले का कड़ा और सटीक जवाब दें।
मुस्लिम वोट बैंक पर सपा और कांग्रेस की नजर
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने तो इंडिया गठबंधन में फूट डालने के लिए दो कदम बढ़कर कह दिया कि कांग्रेस अपनी सहयोगी सपा के मुस्लिम वोट बैंक को हड़पना चाहती है। इस बयान को फूट डालने की स्ट्रेटजी के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की एक तरह से ताकत को स्वीकार करना भी है। किंतु इस सच्चाई से भी एकदम इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा को हल्के में लेने की भूल गठबंधन को भारी भी पड़ सकती है।
(लेखक TV 47 news.com के दिल्ली एनसीआर के संपादक हैं)