
"नए साल का जश्न नाजायज" फतवा
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। मुस्लिम जमात के प्रमुख शहाबुद्दीन ने नए साल के जश्न और शुभकामनाओं को लेकर एक फतवा जारी किया है। फतवे में इस्लामी शरीयत का हवाला देते हुए कहा गया है कि नए साल का जश्न मनाना और एक-दूसरे को मुबारकबाद देना शरीयत के खिलाफ है। उनका मानना है कि नए साल का जश्न अंग्रेजों और ईसाइयों का त्योहार है, जिसे मुसलमानों को नहीं अपनाना चाहिए।
शरीयत का दृष्टिकोण
फतवे में कहा गया है कि मुसलमानों को उन परंपराओं और त्योहारों से बचना चाहिए जो उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ हों। इस्लामी मान्यताओं में नए साल का जश्न मनाना या इसका हिस्सा बनना अनुचित है।
फतवे के मुख्य बिंदु
नाजायज करार: फतवे में नए साल का जश्न और शुभकामनाएं देना नाजायज बताया गया है।
धार्मिक चेतावनी: इसे इस्लामी परंपराओं को कमजोर करने वाला कदम करार दिया गया है।
धार्मिक आह्वान: मुसलमानों से आग्रह किया गया है कि वे अपनी धार्मिक परंपराओं को बनाए रखें और बाहरी सांस्कृतिक प्रभावों से बचें।
समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएं
यह फतवा समाज में कई तरह की प्रतिक्रियाओं का कारण बन रहा है। कुछ लोग इसे धर्म के प्रति सख्ती के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे वर्तमान समय के साथ सामंजस्य न बैठाने वाला मान रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फतवे समाज को धार्मिक अनुशासन की याद दिलाते हैं। हालांकि, आधुनिक मुसलमान इसे प्रगतिशील सोच के खिलाफ मान सकते हैं।