नई दिल्ली [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। आज का विश्व राजनीति का समीकरण तेजी से बदल रहा है। भारत, चीन और रूस जैसे प्रमुख देशों की आपसी मुलाकातें और रणनीतिक गठजोड़ अमेरिकी शक्ति के सामने नई चुनौती बन रहे हैं। इन तीन देशों की आबादी मिलकर अमेरिका से लगभग नौ गुना अधिक है, और उनके पास परमाणु हथियारों की संख्या भी अमेरिकी तुलना में 1127 अधिक है। इन सब पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बेचैनी क्यों बढ़ रही है? यह प्रश्न आज विश्व के राजनीतिक विश्लेषकों के मन में उठ रहा है।
यह आर्टिकल इस विषय पर विस्तृत विश्लेषण करेगा कि क्यों मोदी, जिनपिंग और पुतिन की मुलाकात ट्रम्प के लिए चिंताजनक है, साथ ही विश्व शक्ति संतुलन में बदलाव के कारण क्या-क्या संभावनाएँ बन रही हैं। हम जानेंगे कि इन तीन देशों की आबादी, परमाणु हथियार, आर्थिक शक्ति और सैन्य ताकतें कैसे अमेरिका के समक्ष चुनौती बन रही हैं।
भारत, चीन और रूस: आबादी, शक्ति और रणनीति (India, China, and Russia: Population, Power, and Strategy)
भारत, चीन और रूस की जनसंख्या
- भारत: लगभग 1.43 अरब (2024 अनुमान)
- चीन: लगभग 1.41 अरब (2024 अनुमान)
- रूस: लगभग 1.45 अरब (सभी मिलाकर: 4.29 अरब)
इन तीन देशों की कुल आबादी लगभग 4.29 अरब है, जो विश्व की कुल आबादी का करीब 55% है। यदि हम इसे अमेरिका की तुलना में देखें, तो अमेरिका की आबादी लगभग 3.33 अरब है। यानी, इन तीन देशों की संयुक्त आबादी अमेरिका से लगभग 9 गुना अधिक है।
परमाणु हथियारों की संख्या
- भारत: लगभग 50-60 परमाणु हथियार
- चीन: लगभग 350 परमाणु हथियार
- रूस: लगभग 6000 परमाणु हथियार
- संयुक्त राज्य अमेरिका: लगभग 5400 परमाणु हथियार
मिलाकर, भारत-चीन-रूस के पास परमाणु हथियारों की संख्या अमेरिकी तुलना में लगभग 1127 अधिक है। यह संख्या विश्व में परमाणु शक्ति का संतुलन बदलने का संकेत है।
सैन्य शक्ति और आर्थिक मापदंड
- आर्थिक शक्ति: बीते वर्षों में भारत, चीन और रूस ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। चीन की GDP विश्व में दूसरे स्थान पर है, रूस का सैन्य बजट बड़ा है, और भारत भी तेजी से उभर रहा है।
- सैन्य ताकत: तीनों देशों ने अपने सैन्य ढांचे को आधुनिक बनाया है। विशेषकर, चीन और रूस ने अपनी परमाणु और मिसाइल क्षमताओं में वृद्धि की है।
क्यों ट्रम्प बेचैन हैं?
1. शक्ति का पुनर्वितरण
अमेरिका के पास पहले से दुनिया की सबसे मजबूत सैन्य और आर्थिक ताकत थी। लेकिन अब भारत, चीन और रूस की संयुक्त ताकतें, आबादी और परमाणु हथियारों के संदर्भ में, अमेरिकी शक्ति को चुनौती देने लगी हैं। ट्रम्प को डर है कि ये देश मिलकर वैश्विक शक्ति का संतुलन बदल सकते हैं।
2. आर्थिक और सैन्य गठबंधन
तीनों देशों के बीच बढ़ती सैन्य और आर्थिक साझेदारी, जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास, व्यापार समझौते, और ऊर्जा सहयोग, अमेरिका के लिए चुनौती बन रहे हैं। यह गठजोड़ अमेरिका की वैश्विक उपस्थिति को कमजोर कर सकता है।
3. रणनीतिक क्षेत्रीय प्रभाव
भारत-चीन-रूस का मिलकर रणनीतिक प्रभाव क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अमेरिकी प्रभाव को कम कर सकता है। खासकर, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव, भारत का शक्ति प्रदर्शन और रूस का सैन्य विस्तार ट्रम्प के लिए चिंता का विषय है।
4. परमाणु शक्ति का बढ़ता खतरा
1127 परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या, विशेषकर रूस की परमाणु क्षमता, परमाणु युद्ध का खतरा भी बढ़ा रही है। यह खतरा वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़ा चैलेंज है।
इन तीन देशों की रणनीति और वैश्विक प्रभाव
भारत
- आर्थिक विस्तार, क्षेत्रीय सुरक्षा, और नई सैन्य रणनीति।
- रूस के साथ मजबूत सैन्य संबंध।
- चीन के साथ सीमा विवाद और उसकी सामरिक नीतियों का मुकाबला।
चीन
- Belt and Road Initiative, आर्थिक शक्ति का विस्तार।
- दक्षिण चीन सागर में प्रभाव।
- अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को मजबूत करना।
रूस
- परमाणु हथियारों का विस्तार।
- सैन्य आधुनिकिकरण।
- अमेरिका और NATO के खिलाफ रणनीति।
संयुक्त प्रभाव
इन तीन देशों का समेकित प्रयास अमेरिका के विश्व प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है। ये देश नई आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक गठबंधन बना रहे हैं, जो वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकता है।
अमेरिका की बेचैनी का कारण: क्या है मुख्य चिंता?
1. शक्ति का स्थानांतरण
अमेरिका का मानना है कि यदि भारत, चीन और रूस मिलकर शक्ति का स्थानांतरण कर लेते हैं, तो वैश्विक राजनीति में उसका वर्चस्व खतरे में पड़ जाएगा।
2. सैन्य और आर्थिक गठजोड़
इन देशों का सैन्य और आर्थिक गठबंधन, अमेरिका की वैश्विक भूमिका को कमजोर कर सकता है। खासकर, नई सुरक्षा रणनीतियों और संधियों से अमेरिकी प्रभाव कम हो सकता है।
3. परमाणु हथियारों की संख्या
1127 परमाणु हथियारों का बढ़ना, परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ाता है, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय है।
4. क्षेत्रीय प्रभाव
एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व में इन देशों का प्रभाव बढ़ना, अमेरिका की रणनीतिक योजनाओं को प्रभावित कर रहा है।
