
एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) पर एक वैज्ञानिक कार्यक्रम आयोजित
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के कलाम सेंटर में टीबी (क्षय रोग) के खिलाफ जारी जंग में एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) पर एक वैज्ञानिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में टीबी की नई दवाओं, एमडीआर (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट) और एक्सडीआर (एक्सटेंसिव-ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी के इलाज पर विशेष चर्चा की गई।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य और विशेषज्ञों के विचार
इस वैज्ञानिक कार्यक्रम का आयोजन केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग द्वारा किया गया, जो ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में कार्यरत है। इस आयोजन को यूएसएआईडी (USAID) और इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिज़ीज़ (द यूनियन) के सहयोग से हाईब्रिड मोड में किया गया, जिसमें 200 चिकित्सक व्यक्तिगत रूप से और 150 चिकित्सक ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीडीजी टीबी डॉ. उर्वशी सिंह ने घोषणा की कि अगले महीने से एमडीआर टीबी को 6 महीने में ठीक करने की नई दवाएं देश में उपलब्ध होंगी। इस कार्यक्रम के दौरान केजीएमयू की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों को एमडीआर टीबी की इन नई दवाओं के उपयोग के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के इलाज में कुपोषण सबसे बड़ी चुनौती
कार्यक्रम में नेशनल टास्क फोर्स, राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सदस्य डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के आधे से अधिक मरीज कुपोषण से ग्रस्त होते हैं। कुपोषण टीबी के उन्मूलन की एक बड़ी बाधा है। इसलिए भारत सरकार ने 1 नवंबर 2024 से टीबी रोगियों को मिलने वाले पोषण भत्ते को दोगुना कर ₹1000 प्रति माह करने का निर्णय लिया है।
केजीएमयू का नेतृत्व और प्रशिक्षण केंद्र
डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि केजीएमयू को 2022 में टीबी के उपचार हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में चुना गया था। इसके तहत उत्तर प्रदेश में मेरठ, आगरा, अलीगढ़, सैफई (इटावा), झांसी, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, अंबेडकर नगर और गोरखपुर को स्पोक केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। भविष्य में प्रदेश के 44 अन्य जिलों को भी स्पोक्स के रूप में जोड़ने की योजना है, जिससे उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य पूरा किया जा सके।
उपस्थित विशेषज्ञों और महत्वपूर्ण विचार
कार्यक्रम में डॉ. भाविन वडेरा (सीनियर हेल्थ एडवाइजर, USAID), डॉ. संजीव सिंह (मेडिकल डायरेक्टर, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद), डॉ. राकेश पीएस (डिप्टी डायरेक्टर, द यूनियन), और अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए। आयोजन सचिव डॉ. अंकित कुमार ने कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।