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प्रयागराज,[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। उत्तर प्रदेश का प्रयागराज वह तपोभूमि है, जहां दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले कुंभ का आयोजन किया जाता है। संगम की रेत पर यह मेला हर 12 वर्ष में एक बार लगता है। कुंभ का आगाज तब होता है जब प्रमुख अखाड़े नगर में प्रवेश करते हैं, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु वर्षों तक प्रतीक्षा करते हैं। रविवार को श्री पांचदशनाम जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा ने भव्य शोभायात्रा के साथ नगर प्रवेश किया।
करतबों से भरी शोभायात्रा
श्री पंचदस नाम जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़ा ने रामापुर से गाजा-बाजा के साथ नगर प्रवेश किया। रास्ते भर इन अखाड़ों ने करतब दिखाकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। नगरवासी नागा संन्यासी और किन्नर सन्यासियों के दर्शन के लिए रास्ते के किनारे खड़े रहे। सैकड़ों गाड़ियों पर सवार होकर निकले इस नगर प्रवेश ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। नागा संन्यासियों की तलवारों और लाठियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मौजगिरी में पूजन
झूंसी के रामापुर से निकलकर नगर प्रवेश यमुना बैंक स्थित मौजगिरी पहुंचा। यहां जूना अखाड़ा के नगर देवता विराजमान हुए। एक महीने तक यहां रुकने के बाद संगम की रेत पर जूना अखाड़े के धर्म ध्वज की स्थापना की जाएगी। इस अवसर पर कई प्रमुख संत भी उपस्थित रहे, जिनमें महामंडलेश्वर लक्ष्मी त्रिपाठी और महंत प्रेम गिरि जी महाराज शामिल थे।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अद्वितीय समागम है। इस अवसर पर सैकड़ों संत नगरवासियों को आशीर्वाद देते हुए मौजगिरी आश्रम तक पहुंचे। यहां नागा संन्यासियों ने करतब दिखाते हुए श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया।
महाकुंभ प्रयागराज 2025 का आगाज एक महत्वपूर्ण घटना है, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था को बल देता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक समागम का भी माध्यम है। सभी श्रद्धालुओं को इस महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया जाता है।