
महाकुंभ में सांस्कृतिक कार्यक्रम: लोकगीत, नृत्य और भारतीय संस्कृति का संगम फाइल फोटो
प्रयागराज[TV 47 न्यूज़ नेटवर्क]। महाकुंभ के अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तहत सांस्कृतिक कुंभ के आयोजन में कलाग्राम में शुक्रवार को एक अनूठे सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय लोकगीत, लोकनृत्य और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने श्रद्धालुओं और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसमें गुजरात का डांडिया, रास-गरबा, राजस्थान का चरी, घूमर और पंजाब का भांगड़ा जैसे पारंपरिक नृत्य शामिल थे, जिनसे सांस्कृतिक कार्यक्रम ने नई ऊंचाइयों को छुआ।
भांगड़ा, डांडिया और गरबा का रंगीन प्रदर्शन
कार्यक्रम की शुरुआत पंजाब से आए कलाकारों ने पारंपरिक वाद्ययंत्र डफली, ढोल और तुनकार पर भांगड़ा नृत्य से की। उनके जोशीले प्रदर्शन ने दर्शकों में ऊर्जा का संचार किया। इसके बाद राजस्थान से आए कलाकारों ने गरबा और डांडिया नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
राजस्थानी, गोवानी और बंगाली नृत्य का संगम
नेहा वैष्णव एवं उनके दल ने चरी और घूमर नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद गोवा से आए दत्ता राम सावट ने घोडे मोरनी और समई-देखड़ी नृत्य प्रस्तुत कर अपनी सांस्कृतिक धरोहर का परिचय कराया। इसके बाद कोलकाता से आए विश्वदेव महतो और उनके दल ने नटुआ नृत्य और पंजाबी कलाकारों ने असम का डोमाही किकन नृत्य प्रस्तुत किया। उदय कुमार ने केरल का प्रसिद्ध थेय्यम नृत्य प्रस्तुत किया।
छत्तीसगढ़, गुजरात और अवध की लोककला का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ से आए कलाकारों ने गेंडी नृत्य प्रस्तुत किया, वहीं गुजरात से आए कलाकारों ने डांग नृत्य से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस सांस्कृतिक महोत्सव में संगीत आहूजा ने अवधी लोकगीत प्रस्तुत किए, जैसे “अवध में जनमे प्रभु श्री राम बधावा लेकर आयी सखिया”, “कुंभ मेलवा का हमको घुमाओ पिया” और “आनंद मंगल गायो, आयोध्या में श्री राम जी पधारे”, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर गए और भारतीय संगीत की उत्कृष्टता का परिचय दिया।