
महाकुंभ 2025 की सुरक्षा व्यवस्था
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। महाकुंभ 2025 में खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने मेले में बदला लेने की धमकी के बाद पुलिस प्रशासन सुरक्षा को लेकर और सतर्क हो गया है। महाकुंभ 2025 का आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा और इस दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। आइए, जानते हैं इस विशाल आयोजन की जल-थल-नभ स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था की क्या है पुख्ता तैयारी ?
संगम क्षेत्र का निरीक्षण और दिशा-निर्देश : दिनांक 24 दिसंबर 2024 को उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर श्री अमिताभ यश ने संगम मेला क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने मेला पुलिस अधिकारियों को निम्नलिखित दिशा-निर्देश दिए हैं। स्थानीय पुलिस के साथ बाहर से आने वाले सुरक्षा बलों की प्रभावी तैनाती। विशेष ट्रैनिंग के माध्यम से भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारी। साइबर सुरक्षा और डिजास्टर मैनेजमेंट की समीक्षा मुख्यालय स्तर पर की गई। पुलिस बल और अन्य स्टाफ के रहने की सुविधाओं का उचित प्रबंधन किया गया है।
ड्रोन से होगी महाकुंभ की सुरक्षा
महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। इनमें ड्रोन तकनीक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कैसे ड्रोन के माध्यम से सुरक्षा और निगरानी को उच्चतम स्तर पर सुनिश्चित किया जा रहा है। ड्रोन से निगरानी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह आपात स्थितियों में तुरंत कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
- ड्रोन की तैनाती: संपूर्ण मेला क्षेत्र की निगरानी। संगम क्षेत्र और महाकुंभ के प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा के लिए सैकड़ों ड्रोन तैनात किए गए हैं। ये ड्रोन निम्नलिखित कार्यों में सहायता करते हैं।
- आकाशीय निगरानी:ड्रोन ऊंचाई से पूरे मेला क्षेत्र का विस्तृत दृश्य प्रदान करते हैं, जिससे भीड़ प्रबंधन और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान आसान होती है।
- संवेदनशील क्षेत्रों पर फोकस: संवेदनशील इलाकों, जैसे घाटों, प्रमुख प्रवेश द्वारों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ड्रोन की विशेष तैनाती की गई है।
- आधुनिक सेंसर और कैमरों का उपयोग : ड्रोन में उन्नत सेंसर और उच्च-गुणवत्ता वाले कैमरे लगे होते हैं, जो सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाते हैं।
- फेस रिकॉग्निशन तकनीक:ड्रोन पर लगे कैमरे फेस रिकॉग्निशन तकनीक से युक्त हैं, जो संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करने में मदद करते हैं।
- रात के समय निगरानी: इंफ्रारेड सेंसर और नाइट विजन कैमरों के साथ, ड्रोन रात के समय भी स्पष्ट और सटीक दृश्य प्रदान करते हैं।
- तेज चेतावनी प्रणाली: ड्रोन किसी भी असामान्य गतिविधि की तुरंत जानकारी नियंत्रण कक्ष को भेजते हैं।
- रियल-टाइम डेटा ट्रांसफर: ड्रोन से प्राप्त डेटा को रियल-टाइम में साझा किया जाता है, जिससे अधिकारियों को तुरंत निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- भीड़ के आंकलन में मदद:ड्रोन तकनीक भीड़ प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाती है। ड्रोन ऊंचाई से भीड़ की घनत्व और दिशा का आंकलन करते हैं।
- सुरक्षित मार्ग की जानकारी: ड्रोन के माध्यम से श्रद्धालुओं को सुरक्षित और कम भीड़भाड़ वाले मार्गों की जानकारी दी जा सकती है।
जल-थल और नभ स्तर पर सुरक्षा
महाकुंभ के दौरान सुरक्षा तीन स्तरों पर सुनिश्चित की जा रही है। महाकुंभ 2025 का आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक संगम है। इतने बड़े आयोजन में सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है। उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को तीन स्तरों पर सुनिश्चित करने की योजना बनाई है: जल, थल और नभ।
- जल सुरक्षा
नावों का सुचारु संचालन: संगम क्षेत्र और गंगा-यमुना के अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष जल पुलिस बल तैनात किया गया है। 4,000 से अधिक नावों का संचालन सुनिश्चित करने के लिए लाइफ जैकेट और अन्य सुरक्षा उपकरण अनिवार्य किए गए हैं।
जल पुलिस और रेस्क्यू टीम:जल पुलिस और प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम को घाटों और जलमार्गों पर सतर्क रखा गया है। किसी भी आपात स्थिति में ये टीमें तुरंत कार्रवाई करेंगी।
- थल सुरक्षा
घुड़सवार पुलिस: जमीन पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं।भीड़ प्रबंधन और गश्त के लिए घुड़सवार पुलिस बल सक्रिय है।
सुरक्षा चौकियां:मेला क्षेत्र में प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सुरक्षा चौकियां स्थापित की गई हैं। यहां मेटल डिटेक्टर और स्कैनर से जांच की जाती है।
विशेष सुरक्षा बल: थल सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई है।
- नभ सुरक्षा
ड्रोन निगरानी: आकाशीय निगरानी के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन तकनीक का उपयोग कर पूरे मेला क्षेत्र की 24/7 निगरानी की जा रही है। ये ड्रोन भीड़भाड़ वाले इलाकों और संवेदनशील स्थानों पर विशेष फोकस करते हैं।
हेलीकॉप्टर गश्त: आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए हेलीकॉप्टर से क्षेत्र की निगरानी की जा रही है।
आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाएं
मेडिकल कैंप: सुरक्षा व्यवस्था में आपदा प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं को भी शामिल किया गया है। पूरे मेला क्षेत्र में 24/7 मेडिकल कैंप स्थापित किए गए हैं।
फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीमें:किसी भी दुर्घटना से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीमें तैयार हैं।