
मधुरेश मिश्रा की काव्य पुस्तक 'जाने-अनजाने पदचिह्न
लखनऊ [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक विशेष और यादगार समारोह का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में हुआ, जिसमें मधुरेश मिश्रा की काव्य पुस्तक ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ का लोकार्पण किया गया। इस लोकार्पण समारोह में प्रमुख साहित्यकारों, शिक्षाविदों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गौरवमयी बना दिया।
समारोह का आरंभ
लोकार्पण समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. सतीश द्विवेदी (पूर्व बेसिक शिक्षा, राज्य मंत्री , उo प्रo), विशिष्ट अतिथि श्री नवेंदु मिश्रा (सासंद, हाउस ऑफ़ कॉमन्स , ब्रिटिश संसद), प्रमुख अतिथि आईएएस श्री जितेंद्र कुमार (अपर मुख्य सचिव भाषा, उ० प्र०) और रचनाकार श्री मधुरेश मिश्रा ने दीप जलाया। आचार्य बलराम मिश्र ने मंत्रोच्चारण और स्वागत श्लोक के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस आयोजन में कवि एवं व्यंग्य-लेखक पंकज प्रसून ने संचालन की भूमिका निभाई।
मधुरेश मिश्रा का प्रेरणादायक भाषण
अपने पुस्तक ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ के बारे में चर्चा करते हुए मधुरेश मिश्रा ने अपने जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा को साझा किया। उन्होंने बताया कि जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष व्यक्ति को उसकी असल पहचान दिलाते हैं और यही संघर्ष उन्हें लेखन के प्रति प्रेरित करता है। उन्होंने अपनी काव्य पुस्तक की रचनाओं के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ और श्रोताओं को अपनी कविताओं के साथ जोड़ने की कोशिश की।
प्रमुख अतिथियों की सराहना
मुख्य अतिथि डॉ. सतीश द्विवेदी ने इस काव्य पुस्तक की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मधुरेश मिश्रा ने सरल और प्रभावी भाषा में भारतीय संस्कृति और देशभक्ति को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इन कविताओं में एक गहरी विचारधारा और जीवन के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
विशिष्ट अतिथि नवेंदु मिश्रा ने इस पुस्तक को हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। उन्होंने खास तौर पर ब्रिटेन में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में मिश्रा जी के प्रयासों की सराहना की।
प्रमुख अतिथि श्री जितेंद्र कुमार ने पुस्तक में गहरे भावनात्मक पक्ष को छेड़ा और कहा कि ऐसी कविताएँ केवल वही व्यक्ति लिख सकता है जिसने वास्तव में उन अनुभवों को जिया हो।
पंकज प्रसून का काव्य पाठ और पुस्तक की सराहना
अंतर्राष्ट्रीय कवि पंकज प्रसून ने कार्यक्रम के दौरान काव्य पुस्तक से कुछ प्रसिद्ध कविताओं के अंश पढ़े और पुस्तक की सरलता और गहराई की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में जटिल विषयों को अत्यंत सहज और सुंदर भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को एक नई सोच देने में सक्षम है।
धन्यवाद प्रस्ताव
समारोह के अंत में डॉ. अमिता दुबे ने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और इस पुस्तक के रचनाकार मधुरेश मिश्रा की काव्य यात्रा को बधाई दी।
मधुरेश मिश्रा की पुस्तक ‘जाने-अनजाने पदचिह्न’ न केवल हिंदी साहित्य के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह पुस्तक भारतीय संस्कृति, देशभक्ति और जीवन के विविध पहलुओं पर गहरी सोच को प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक का लोकार्पण समारोह हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए एक यादगार अवसर बन गया, जिसने साहित्य के क्षेत्र में एक नया आयाम प्रस्तुत किया।