कथावाचक स्वामी अनिरुद्धाचार्य। फाइल फोटो
लखनऊ [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। देशभर में धार्मिक नेताओं और कथावाचकों का सामाजिक प्रभाव अत्यधिक है। अक्सर उनके वक्तव्य और टिप्पणियां न केवल श्रद्धालुओं में चर्चा का विषय बनती हैं, बल्कि कभी-कभी यह विवादों का कारण भी बन जाती हैं। हाल ही में, स्वामी अनिरुद्धाचार्य द्वारा लड़कियों को लेकर की गई टिप्पणी ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस विवाद ने न केवल धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं को सोचने पर मजबूर किया है, बल्कि महिला सुरक्षा और सम्मान का सवाल भी उठ खड़ा हुआ है।
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का विवादित बयान
कुछ दिनों पहले, स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने मथुरा में एक धार्मिक कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए लड़कियों और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया, समाचार पत्र और टीवी चैनलों पर बहस का विषय बन गया। कई लोगों ने इस टिप्पणी को अनुचित और असंवेदनशील माना, जबकि कुछ का तर्क था कि यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है।
क्या कहा था कथावाचक ने?
उनकी टिप्पणी में उन्होंने महिलाओं के बारे में ऐसी बातें कहीं, जो समाज में महिलाओं की गरिमा के खिलाफ थीं। उन्होंने कहा कि लड़कियों को लेकर ऐसी बातें करना, जो समाज में महिलाओं की प्रतिष्ठा को कम करे, न केवल गलत है बल्कि यह समाज के नैतिक मूल्यों के खिलाफ भी है। उनके बयान में यह भी कहा गया कि लड़कियों को लेकर किये गए कुछ विचार सामाजिक रूप से गलत हैं, और उन्हें सुधारने की जरूरत है।
महिला आयोग का संज्ञान और कार्रवाई
इस विवाद के बाद, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता सिंह चौहान ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने मथुरा के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर घटना का संज्ञान लेने का निर्देश दिया। महिला आयोग ने कहा कि कथावाचक द्वारा की गई टिप्पणी का वह घोर विरोध करती हैं, जो उन्होंने बेटियों और महिलाओं को लेकर की है।
महिला आयोग की प्रतिक्रिया
बबिता सिंह चौहान ने कहा, “मुझे लगता है कि इससे ज्यादा भद्दी और घटिया भाषा का प्रयोग कोई नहीं कर सकता है। व्यास गद्दी पर बैठकर इतने बड़े कथावाचक जिनको सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, उनके द्वारा ऐसी बातें करना उचित नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह बयान समाज में महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सख्त कदम की जरूरत
महिला आयोग ने जिलाधिकारी से कहा है कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें और रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि माफी मांगना अक्सर समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि उस बयान का सही तरीके से विरोध करना जरूरी है। इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए, महिला आयोग ने उचित कदम उठाने की चेतावनी दी है।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
स्वामी अनिरुद्धाचार्य का यह बयान सोशल मीडिया पर तीव्रता से वायरल हो गया है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर हजारों लोग इस बयान की निंदा कर रहे हैं। महिलाओं के समूह और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों का मानना है कि ऐसे वक्तव्य समाज में महिलाओं के प्रति नफरत और भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
समर्थन और विरोध दोनों
कुछ लोग उनके कथनों का समर्थन भी कर रहे हैं, उनका तर्क है कि यह उनके धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है। हालांकि, अधिकतर जनता और महिला संगठनों का मानना है कि इस तरह की बातें समाज में महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाती हैं और इन्हें तुरंत रोकना चाहिए।
धार्मिक नेताओं और कथावाचकों की जिम्मेदारी
धार्मिक नेताओं का समाज में बहुत बड़ा प्रभाव होता है। उन्हें चाहिए कि वे अपने वक्तव्यों में सतर्कता बरतें और महिलाओं के प्रति सम्मान और गरिमा का संदेश फैलाएं। व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक भाषण के नाम पर समाज में नफरत फैलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
महिलाओं का सम्मान और सामाजिक बदलाव
समाज में महिलाओं का सम्मान बनाना हमारी जिम्मेदारी है। महिलाओं को समान अधिकार और गरिमा मिलनी चाहिए। धार्मिक नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं, न कि विवाद और नफरत फैलाने वाले बयान दें। समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान का संदेश फैलाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
