
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के बयान ने बिहार की राजनीति में नया विमर्श शुरू किया है।
अमर नाथ झा। अभी तक भाजपा के समर्थक जब यह कह रहे थे कि भले ही भाजपा मुस्लिम समुदाय के बेहतर भविष्य के लिए कुछ भी करे, परंतु वे वोट भाजपा के विरोध में ही करते हैं, तब विरोधी दलों को आपत्ति होती थी। अब एनडीए गठबंधन का प्रमुख भागीदार जदयू यह कह रहा है तो यह निश्चित ही गंभीर चिंतन का विषय है।
इससे पहले भी जदयू के कई वरिष्ठ नेता मुस्लिम समुदाय पर इस तरह का आरोप लगा चुके हैं। इस बार यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के सबसे अधिक विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लगाया है। ललन सिंह ने यह आरोप उस समय लगाया जब वे मुजफ्फरपुर में जदयू कार्यकर्ताओं के खुले जिला अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नये विमर्श की शुरुआत कर दी है कि क्या जदयू का मुस्लिमों से मोहभंग हो गया है।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग जदयू को वोट नहीं देते हैं। वे उस पार्टी को वोट देते हैं, जिसने उनके लिए अबतक कुछ भी नहीं किया। उनका इशारा राजद एवं उसके नेता लालू प्रसाद यादव की ओर था। ललन सिंह इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा मुस्लिम समुदाय के हित में किए गये कार्यों की फेहरिस्त भी लोगों के सामने रख दी।
इसके पूर्व भी सीतामढ़ी के जदयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने इसी तरह का आरोप मुस्लिम समुदाय पर लगाया था। उन्होंने कहा था कि वे बगैर किसी पूर्वाग्रह के इस समुदाय के लिए काम करते रहे हैं परंतु लोकसभा चुनाव में उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया। इसका मुझे मलाल है। श्री ठाकुर के इस बयान पर जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने असहमति जतायी थी। वहीं, प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा था कि सांसद की भाषा नहीं भाव को समझिये। हालांकि, राजद सांसद मीसा यादव ने सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के बयान की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण एवं एक समुदाय को संदेह के घेरे में लाने का प्रयास है।
विगत लोकसभा एवं उसके बाद हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के जो परिणाम आये, वे काफी चैंकाने वाले हैं। सर्वेक्षण मंे यह तथ्य सामने आया कि मुस्लिम समुदाय केे लोगों ने थोक भाव में इंडिया गठबंधन को वोट दिया। उनका अपना एजेंडा महत्वपूर्ण है। विकास कार्यों से उनका कोई लेना देना नहीं है। लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा दूसरे नंबर पर खिसक गयी।
उसे अस्सी में सिर्फ तैंतीस सीटें मिली। समाजवादी पार्टी को सर्वाधिक सैंतीस सीटें मिलीं। तमाम विकास कार्यों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में करीब डेढ़ लाख मतों से ही चुनाव जीत पाये। बिहार विधान सभा के चुनाव 2025 में होने हैं। पहले हरियाणा फिर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारी जीत से उत्साहित एनडीए को लगता है कि विकास के साथ ही हिंदुत्व के एजेंडे का बगैर आगे बढ़ाये इंडिया गठबंधन को कदम दर कदम नहीं हराया जा सकता।
भाजपा का विकास के साथ ही हिंदुत्व का एजेंडा तो स्पष्ट है। अब उसके सहयोगी दल भी महसूस करने लगे हैं कि जबतक भाजपा का उनका साथ है, मुस्लिम समुदाय का वोट उन्हें नहीं मिल सकता। इसलिये हिंदू मतदाताओं को नाराज करना समझदारी नहीं है। वहीं मुस्लिम समुदाय को भी बगैर लागलपेट के बता दिया जाये कि उनका वोट हमारे दल को नहीं मिलता है। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के इस बयान ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की राजनीतिक लाइन क्या होगी, इसे साफ कर दिया है। इससे उन कयासों पर भी विराम लग गया है कि फिलहाल नीतीश कुमार राजद के साथ किसी संभावित गठबंधन के प्रयास में हैं।