
करवाचौथ की फाइल फोटो।
गाजियाबाद [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। करवाचौथ का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं। लेकिन सवाल उठता है कि करवाचौथ में चांद क्यों देखा जाता है? आइए जानें इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक वजहें।
धार्मिक मान्यता
पंडित राम प्रकाश शुक्ला के अनुसार हिंदू धर्म में चंद्रमा को विशेष रूप से पवित्र और शुभ माना गया है। करवाचौथ के व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार सावित्री ने यमराज से अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए चंद्रमा का पूजन किया था। तभी से यह परंपरा बन गई कि करवा चौथ पर महिलाएं चंद्रमा को देखकर ही व्रत पूरा करती हैं।
उन्होंने बताया कि चंद्रमा को शीतलता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते में शांति और संतुलन बनाए रखता है। चंद्रमा को देखकर व्रत खोलने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। करवाचौथ में चांद देखने की परंपरा सिर्फ धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। यह परंपरा भारतीय संस्कृति में महिलाओं के समर्पण और प्रेम का प्रतीक है,जो सदियों से चली आ रही है। चंद्रमा का पूजन और दर्शन शांति, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
करवाचौथ में चांद देखने की परंपरा
करवाचौथ पर महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के समय पूजा के बाद चांद का दीदार करती हैं। चंद्रमा को चलनी से देखने का रिवाज इस बात का प्रतीक है कि पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए इस व्रत का पालन किया जा रहा है। चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
चंद्रमा का महत्व अन्य धार्मिक कथाओं में
केवल करवाचौथ ही नहीं बल्कि चंद्रमा का महत्व हिंदू धर्म के कई अन्य पर्वों और व्रतों में भी देखा जाता है। जैसे शिवरात्रि में भी चंद्रमा का विशेष महत्व होता है क्योंकि चंद्रमा को भगवान शिव का मस्तक भूषण माना जाता है।
वैज्ञानिक कारण
धार्मिक मान्यता के अलावा करवाचौथ में चांद देखने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। चंद्रमा की रोशनी को प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। चंद्रमा के दर्शन से मानसिक शांति और तनाव कम होता है। लंबे समय तक बिना पानी और भोजन के रहने के बाद चंद्रमा की शीतलता व्रती को ताजगी प्रदान करती है और ऊर्जा का संचार करती है। चंद्रमा की आकर्षण शक्ति का प्रभाव समुद्र की लहरों पर पड़ता है और इसे मानव शरीर के भावनात्मक और मानसिक संतुलन पर भी प्रभावी माना गया है।
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