
राजा भइया का नया नारा 'जुड़ोगे तभी बचोगे'
प्रयागराज [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। वर्तमान समय में जहां समाज में कई बदलाव और उथल-पुथल हो रही है। वहीं भारतीय समाज में एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए नए नारे और पहल की जाती हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेता और कुंडा के विधायक राजा भइया ने ‘जुड़ोगे तभी बचोगे’ नारे के माध्यम से समाज को एकजुट करने का संकल्प लिया है। यह नारा खासतौर पर तब चर्चा में आया जब राजा भइया ने बागेश्वर बाबा की सनातन पद यात्रा में भाग लिया।
राजा भइया का नारा और उसका महत्व
राजा भइया ने ‘जुड़ोगे तभी बचोगे’ के नारे के साथ यह संदेश दिया कि समाज के हर वर्ग को एकजुट रहकर अपनी संस्कृति और मूल्यों को सुरक्षित रखना होगा। उनका यह नारा समाज में एक नई चेतना और जागरूकता लाने का प्रयास है, जिसमें लोगों को आपसी सहयोग और एकता के महत्व का एहसास कराया जाएगा। इस नारे का लक्ष्य है कि जब तक समाज एकजुट रहेगा, तब तक उसकी संस्कृति और परंपराएं भी सुरक्षित रहेंगी।
बागेश्वर बाबा की सनातन पद यात्रा और राजा भइया का योगदान
बागेश्वर बाबा धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा चलायी जा रही सनातन पद यात्रा ने पूरे देश में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को नया आयाम दिया है। यह यात्रा सनातन धर्म के मूल्यों को प्रोत्साहित करने और एकजुटता की भावना को मजबूत करने का काम कर रही है। राजा भइया ने इस यात्रा में शामिल होकर ना केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि ‘जुड़ोगे तभी बचोगे’ नारे के साथ इसे एक नई दिशा देने का प्रयास किया। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि वे समाज को जोड़ने और उनके बीच एकता का माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
समाज में एकता की आवश्यकता
समाज की एकता और सहयोग से न केवल संस्कृति की रक्षा होती है, बल्कि समाज के विकास में भी तेजी आती है। राजा भइया का यह नारा समाज में आपसी सहयोग, प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे और अपने बीच का मतभेद खत्म करेंगे तो किसी भी चुनौती का सामना करना आसान होगा।
नारे का व्यापक असर
‘जुड़ोगे तभी बचोगे’ नारे का असर अब समाज में महसूस किया जा रहा है। लोग इस नारे को अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं और आपसी संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसका प्रभाव समाज के हर वर्ग में देखा जा सकता है,खासकर उन क्षेत्रों में जहां समाज में एकता की कमी रही है।