
भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने एक बड़ा और स्पष्ट बयान देकर दोनों देशों के बीच संबंधों में नई दिशा का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) भारत को सौंपना चाहिए, और इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।
यह बयान उस समय आया है जब भारत-पाक संबंधों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच कई मुद्दे लटके हुए हैं, जिनमें कश्मीर का विवाद प्रमुख है। जयशंकर ने कहा कि यदि पाकिस्तान अपने आतंकवादी समूहों के ठिकानों को समाप्त कर देता है और सभी आतंकियों को भारत को सौंप देता है, तभी बातचीत संभव होगी।
PoK का इतिहास और वर्तमान स्थिति
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान ने अपने कब्जे में रखा है। यह क्षेत्र भारत का हिस्सा होने के बावजूद पाकिस्तान के नियंत्रण में है। भारत का मानना है कि PoK का क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान को वापस सौंपना चाहिए।
PoK के अंदर आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बिंदु रहा है। यहां से आतंकवादी समूह भारत में घुसपैठ करते हैं, और कई बार आतंकवादी हमले होते हैं। भारत ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है कि PoK का समाधान केवल बातचीत और समझौते के माध्यम से ही संभव है।
जयशंकर का बयान: मुख्य बातें और संदर्भ
जयशंकर ने अपने बयान में कहा कि, “अगर पाकिस्तान अपने आतंकवादियों को नियंत्रित करता है, उनके ठिकानों को खत्म करता है, और PoK को भारत को सौंप देता है, तो ही दोनों देशों के बीच बातचीत संभव होगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि, “हमने हमेशा कहा है कि भारत की एकता और अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा। यदि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले क्षेत्र को भारत को वापस करेगा, तो हम भी अपने पक्ष में सकारात्मक कदम उठाने को तैयार हैं।”
आतंकवाद के विरुद्ध भारतीय नीति
भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने का पक्षधर रहा है। जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के दूसरे हिस्सों में आतंकवाद की घटनाएं सरकार की चिंता का विषय हैं। भारत सरकार ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज कर दिए हैं और सीमा पर सतर्कता बढ़ाई है।
भारत का मानना है कि आतंकवाद के साथ किसी भी तरह का समझौता संभव नहीं है। आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करना और उनके समर्थन को रोकना जरूरी है, तभी स्थायी शांति संभव है।
पाकिस्तान का रवैया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तान की सरकार और सेना की स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है। पाकिस्तान का कहना है कि वह कश्मीर का मुद्दा बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहता है, लेकिन वह आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मुद्दा चर्चा में है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, चीन और अन्य देशों ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने और बातचीत का मार्ग अपनाने की अपील की है।
भारत की शर्तें और आगे का रास्ता
जयशंकर ने कहा कि भारत की मुख्य शर्त है कि पाकिस्तान अपने आतंकवादी समूहों को नियंत्रित करे, उनके ठिकानों को खत्म करे और PoK को भारत को सौंपे। इसके बिना कोई भी बातचीत संभव नहीं है।
भारत ने यह भी कहा है कि यदि पाकिस्तान अपना रवैया नहीं बदलता, तो बातचीत का कोई मतलब नहीं है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
कश्मीर का मुद्दा और भारत-पाक संबंध
कश्मीर का मुद्दा लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुख्य कारण रहा है। भारत का कहना है कि कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है, और वह इसे कभी भी समझौते के बिना छोड़ने को तैयार नहीं है।
पाकिस्तान का मानना है कि कश्मीर का एक हिस्सा उनका है, और वह इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर तनाव बना रहता है।
वैश्विक स्तर पर भारत का समर्थन
भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने अधिकारों का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत के प्रयासों को सराहा है।
अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के कदमों का समर्थन किया है। इसके साथ ही, भारत की कूटनीतिक कोशिशें जारी हैं ताकि पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके कि वह आतंकवाद को खत्म करे।