
नोएडा [TV 47 न्यूज नेटवर्क ] । ईरान और इजरायल के बीच संबंध का इतिहास मुख्य रूप से 20वीं सदी के मध्य से शुरू होता है, जब दोनों देशों ने अपने-अपने क्षेत्रीय हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक साझेदारी की। हाल के महीनों में ईरान और इजरायल के बीच तनाव और भी बढ़ गया है, जिससे वैश्विक राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इस लेख में हम ईरान-इज़राइल संघर्ष का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, ट्रंप के युद्धविराम प्रयास, हाल की घटनाएँ, मिसाइल हमले, परमाणु वैज्ञानिकों पर कार्रवाई और इस क्षेत्र के भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
- 1950-1960 के दशक: ईरान, जिनके शासन में शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी थे, ने पश्चिमी देशों के साथ मजबूत संबंध बनाए। इस समय इजरायल भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिमी देशों से समर्थन प्राप्त कर रहा था। उस दौर में दोनों देशों के बीच कोई प्रमुख द्विपक्षीय टकराव नहीं था।
- 1979 का ईरान क्रांति: ईरान में इस्लामी क्रांति और शाह की सरकार का पतन, दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव लाया। इस क्रांति के बाद ईरान ने अपने इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की, जिसने पश्चिमी देशों और इज़राइल के प्रति अपने विरोध को स्पष्ट कर दिया।
- 1980 का ईरान-इराक युद्ध: इस संघर्ष ने ईरान की क्षेत्रीय नीति को और अधिक कठोर बना दिया, और इजरायल के प्रति उसकी नकारात्मक धारणा को मजबूत किया।
- 1990 और 2000 का दशक:
ईरान ने अपने सैन्य और परमाणु कार्यक्रमों को तेज किया, और इजरायल के खिलाफ अपने विरोध को सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया। ईरान का यह रुख उसकी क्षेत्रीय प्रभुत्व की इच्छा और अपने इस्लामिक गणराज्य के सिद्धांतों पर आधारित था।
वर्तमान स्थिति
आज, ईरान और इजरायल के बीच संबंध शत्रुता और प्रतिस्पर्धा का प्रतीक बन चुके हैं, जहां दोनों देश अपने-अपने हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत हैं। ईरान का समर्थन हिज़्बुल्लाह, हमास जैसे प्रॉक्सी ग्रुप्स को है, जो इजरायल के खिलाफ काम करते हैं। वहीं, इज़राइल ईरान के परमाणु कार्यक्रम और राजनीतिक गतिविधियों को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय राजनीति
- परमाणु गतिविधियों का विकास:
ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1970 के दशक में शुरू हुआ, जब उसने अमेरिका और यूरोपियन देशों से तकनीक प्राप्त की। हालांकि, 2000 के दशक में यह पता चलने के बाद कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सक्षम बनाने में है, विश्व समुदाय सकते में आ गया। - अंतरराष्ट्रीय संधि और प्रतिबंध: 2015 में ईरान और विश्व शक्तियों के बीच जेसीपीओए (Joint Comprehensive Plan of Action) पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षणों की अनुमति देने पर सहमति हुई। लेकिन 2018 में अमेरिका ने इस संधि से बाहर निकलकर प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया।
- ईरान का वर्तमान स्थिति:
अभी भी ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज कर रहा है, विशेषकर यूरेनियम संवर्धन और परमाणु हथियार बनाने के संदिग्ध प्रयासों के चलते अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ गई है।
क्षेत्रीय राजनीति
- सैन्य व रणनीतिक शक्ति: ईरान अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए हिज़्बुल्लाह और हौथी विद्रोहियों का समर्थन करता है, जो इजरायल और सऊदी अरब जैसे पड़ोसी देशों के लिए खतरा हैं।
- इजरायल की सुरक्षा नीति: इजरायल अपने सुरक्षा हितों के मद्देनजर ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध करता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करता है।
- मध्य पूर्व में तनाव: क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता, यमन युद्ध, सीरिया में सैन्य उपस्थिति, और तेल की राजनीति इस संघर्ष को जटिल बनाती है।
वर्तमान तनाव के कारण
ईरान का परमाणु कार्यक्रम
ईरान का परमाणु कार्यक्रम मुख्य तनाव का कारण है। विश्व समुदाय मानता है कि ईरान अपने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है।
- यूरेनियम संवर्धन: ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन को तेज कर रहा है, जो हथियार-क्लियर स्तर पर पहुंचने का संकेत हो सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण: ईरान ने निरीक्षणकार्यों को रोक दिया है या बाधाएं खड़ी की हैं, जिससे विश्व समुदाय चिंतित है।
इजरायल की सुरक्षा चिंताएँ
- परमाणु हथियार का खतरा: इजरायल मानता है कि ईरान अपने परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
- सामरिक कदम: इजरायल ने अपने आंतरिक सुरक्षा और खुफिया तंत्र को मजबूत किया है, और ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की भी धमकियां दी हैं।
क्षेत्रीय व राजनीतिक अस्थिरताएँ
- सऊदी अरब और यमन: यमन में हौथी विद्रोहियों का संघर्ष, सऊदी अरब का ईरान विरोधी रुख, और यमन युद्ध ने क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है।
- सीरिया और लीबिया: इन देशों में संघर्ष, अस्थिरता और विदेशी सैन्य उपस्थिति, क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और संधि
- अमेरिका और यूरोप: अमेरिका ने अपने प्रतिबंधों को फिर से लागू कर ईरान पर दबाव बनाया है। यूरोपीय देश भी संधि का समर्थन करते हैं, लेकिन प्रतिबंधों के कारण कई प्रगति रुक गई है।
- रूस और चीन: रूस और चीन जैसे देश ईरान का समर्थन कर रहे हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय: संयुक्त राष्ट्र और विश्व शक्ति संघ ने शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।