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नोएडा [ TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। औद्योगिक निवेश नीति में बदलाव की प्रक्रिया नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के तीनों क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण सुधार लेकर आ रही है। अब इन तीनों प्राधिकरणों में एक समान औद्योगिक निवेश नीति लागू होगी, जिससे निवेशकों को न केवल सुविधा होगी बल्कि वे किसी भी प्रकार के भ्रम से बचेंगे। यह कदम गौतमबुद्धनगर जिले के तीन प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों के लिए एक बड़ा बदलाव है।
अभी तक इन क्षेत्रों में अलग-अलग नीतियां लागू थीं, जो निवेशकों के लिए जटिलताओं और भ्रम का कारण बन रही थीं। 2010 से इसके सुधार की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी और अब इसे मंजूरी मिलने की प्रक्रिया में तेजी आई है।
औद्योगिक निवेश नीति में समानता की आवश्यकता
गौतमबुद्धनगर जिले के तीन प्रमुख प्राधिकरणों में अलग-अलग औद्योगिक नीतियों के कारण निवेशकों को अलग-अलग नियमों का पालन करना पड़ता था। इसके चलते उन्हें प्राधिकरण के हिसाब से नीतियों को समझने में कठिनाई होती थी। इस समस्या को हल करने के लिए अब तीनों प्राधिकरणों की नीतियों को समान रूप से लागू किया जाएगा। इससे निवेशकों को न केवल आसानी होगी बल्कि वे किसी भी प्रकार के नियमों के परिवर्तन से भी बचेंगे।
नई औद्योगिक नीति के प्रमुख बिंदु
सार्क एंड एसोसिएट्स द्वारा तैयार की गई औद्योगिक निवेश नीति के अनुसार कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य निवेश प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है।
- भूखंड आवंटन प्रक्रिया में सुधार
नई नीति के तहत आठ हजार वर्ग मीटर से अधिक के औद्योगिक भूखंडों का आवंटन अब साक्षात्कार के माध्यम से किया जाएगा। इसमें आवेदकों की पूरी तरह से स्क्रीनिंग की जाएगी और केवल वही आवेदक जिनके अंक 60 प्रतिशत से अधिक होंगे, उन्हें भूखंड आवंटित किया जाएगा। अगर समय से आवंटन राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो आवंटी की पंजीकरण राशि जब्त कर ली जाएगी। - ई-नीलामी प्रक्रिया
आठ हजार वर्ग मीटर तक के औद्योगिक भूखंडों के लिए ई-नीलामी की जाएगी। आवेदन करने वाली कंपनियों की तकनीकी जांच की जाएगी और यदि वे 60 प्रतिशत अंक हासिल करती हैं, तो वे नीलामी प्रक्रिया में भाग ले सकेंगी। अगर किसी भूखंड के लिए तीन से अधिक आवेदनकर्ता होते हैं, तो ई-नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अन्यथा, प्रक्रिया को विस्तार दिया जाएगा। - कंसोर्टियम में आवंटन नीति
बड़े भूखंडों के लिए, अर्थात 10,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक के लिए, एक कंसोर्टियम के रूप में अधिकतम पांच संस्थाएं आवेदन कर सकती हैं। कंसोर्टियम में एक मुख्य सदस्य के पास कम से कम 51 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी होनी चाहिए। कंसोर्टियम को एक विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीसी) बनानी होगी, जो पूरे परियोजना की जिम्मेदारी लेगी। - वित्तीय योग्यता मानदंड
एक लाख वर्ग मीटर तक के भूखंडों के लिए आवेदकों को कम से कम 30 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति दिखानी होगी। 1 लाख वर्ग मीटर से अधिक के लिए न्यूनतम 60 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति की आवश्यकता होगी।
नीति के प्रभाव
नई औद्योगिक नीति में किए गए सुधारों से निवेशकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पहले की तुलना में अब यह नीति अधिक पारदर्शी और सुसंगत होगी। साथ ही, निवेशकों को भूखंड आवंटन और ई-नीलामी प्रक्रिया में आसानी होगी, जिससे निवेश आकर्षित होगा और उद्योगों की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
- निवेशकों के लिए बेहतर अवसर
नौकरी सृजन, आर्थिक विकास और औद्योगिक विस्तार को ध्यान में रखते हुए इस नीति को तैयार किया गया है। इससे विशेष रूप से बड़े उद्योगों के लिए अवसर बढ़ेंगे। - प्रभावी प्रशासन
निवेश नीति में समानता और पारदर्शिता के साथ-साथ, अधिकारियों को बेहतर तरीके से नीतियों का पालन कराने का अवसर मिलेगा। इससे क्षेत्रीय विकास में गति आएगी और निवेशकों को बेहतर सेवाएं प्राप्त होंगी। - क्षेत्रीय विकास
नई नीति के प्रभाव से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और निवेशकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
यह नई औद्योगिक नीति तीनों प्राधिकरणों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो निवेशकों के लिए एक समान और सुसंगत प्रक्रिया प्रदान करेगी। यह न केवल औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी मजबूत करेगा। इस नीति के लागू होने से भविष्य में गौतमबुद्धनगर जिले के औद्योगिक क्षेत्रों में कई नई परियोजनाएं शुरू हो सकती हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।