
भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक ने क्षेत्रीय सुरक्षा, द्विपक्षीय सहयोग और आर्थिक संबंधों को नई दिशा दी है। यह बैठक तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद पहली बार हुई है, जो दर्शाता है कि दोनों देश भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट हैं। दोनों देशों के बीच यह निकटता पाकिस्तान को अखर रही है।
1. बैठक का ऐतिहासिक संदर्भ
यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद पहली बार हुई है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए नई दिशा संकेत कर सकती है। दोनों नेताओं ने पारंपरिक मित्रता को फिर से दोहराया और आतंकवाद के खात्मे तथा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इस उच्चस्तरीय संवाद का मकसद दोनों देशों के बीच भरोसेमंद संबंध स्थापित करना है।
2. आतंकवाद पर चर्चा और भारत का दृष्टिकोण
बैठक के दौरान, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की और अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए सहयोग की उम्मीद जताई। जयशंकर ने मौलवी मुत्ताकी को पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए धन्यवाद दिया, जो भारत की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए आतंकवाद का खात्मा जरूरी है।
3. द्विपक्षीय सहयोग और विकास परियोजनाएं
बैठक में भारत ने अफगानिस्तान के विकास कार्यों में निरंतर सहयोग का आश्वासन दिया। भारत ने अपने विकास सहायता कार्यक्रमों, हाइड्रोपावर परियोजनाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अफगानिस्तान के साथ कार्य करने का वादा किया। विशेष रूप से, चाबहार पोर्ट के माध्यम से व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई। यह पोर्ट भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगा, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास होगा।
4. चाबहार पोर्ट का महत्व
चाबहार पोर्ट, जो भारत का एक रणनीतिक भागीदार है, अफगानिस्तान के साथ व्यापार का मुख्य केंद्र बन चुका है। इसके माध्यम से भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है। बैठक में इस पोर्ट के माध्यम से व्यापार, कनेक्टिविटी और निवेश बढ़ाने पर सहमति बनी। यह क्षेत्रीय शांति और आर्थिक समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
5. क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता
दोनों नेताओं ने क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास करने पर जोर दिया। भारत ने कहा कि क्षेत्र में शांति कायम किए बिना स्थिरता संभव नहीं है। अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए भारत अपनी सहायता जारी रखेगा। वहीं, मुत्ताकी ने भी क्षेत्रीय सुरक्षा का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूती देने का आश्वासन दिया।
6. भविष्य की दिशा और रणनीतियां
यह बैठक भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को नई ऊर्जा देने का संकेत है। दोनों देश मिलकर आतंकवाद से लड़ने, व्यापार को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। भारत का मानना है कि अफगानिस्तान की स्थिरता पूरे क्षेत्र के लिए आवश्यक है। इसी दिशा में, दोनों देशों के बीच नियमित संवाद और सहयोग की प्रक्रिया जारी रहेगी।