
महाकुंभ में साइबर सुरक्षा
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क ]। महाकुंभ 2025 के आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक चुनौती है। इसमें सबसे अहम पहलू साइबर सुरक्षा का है, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कमर कस ली है। इस दिशा में आइआइटी (IIT) और ट्रिपल आइटी (IIIT) की विशेषज्ञता का सहारा लिया जा रहा है। हाल ही में, एडीजी जोन (अतिरिक्त महानिदेशक) ने मातहत अधिकारियों और केंद्रीय एजेंसियों के साथ बैठक कर इस विषय पर गहन मंथन किया।
महाकुंभ: साइबर सुरक्षा की जरूरत क्यों ?
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में लाखों श्रद्धालु देश और विदेश से आते हैं। इस दौरान
- डिजिटल सेवाओं का व्यापक उपयोग होता है, जैसे टिकट बुकिंग, लॉजिंग-फूडिंग की ऑनलाइन सेवाएं, और डिजिटल पेमेंट।
- साइबर अपराधों जैसे फिशिंग, हैकिंग, और डेटा चोरी का खतरा बढ़ जाता है।
- फेक न्यूज और अफवाहों के जरिए सामाजिक तनाव या अस्थिरता उत्पन्न करने की आशंका रहती है।
- आतंकी संगठनों और साइबर अपराधियों की ओर से संभावित साइबर हमलों का खतरा हमेशा बना रहता है।
- इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ 2025 के लिए अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा तंत्र की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है।
आइआइटी और ट्रिपल आइटी की भूमिक
तकनीकी विशेषज्ञता : आइआइटी और ट्रिपल आइटी के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ उन्नत तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग कर साइबर खतरों का पूर्वानुमान और समाधान देंगे।
डेटा विश्लेषण : इन संस्थानों के सहयोग से डेटा का सटीक विश्लेषण किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
साइबर सुरक्षा उपकरण : महाकुंभ के लिए खासतौर पर डिजाइन किए गए साइबर सुरक्षा उपकरणों और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा।
सतर्कता और निगरानी
आइआइटी और ट्रिपल आइटी की मदद से रियल-टाइम निगरानी प्रणाली तैयार की जाएगी, जिससे साइबर हमलों का समय रहते पता लगाया जा सके। एडीजी जोन ने महाकुंभ के दौरान साइबर सुरक्षा को लेकर मातहत अधिकारियों और केंद्रीय एजेंसियों के साथ बैठक की। बैठक के प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे:
कैसे होगा समन्वय
केंद्रीय एजेंसियों, राज्य पुलिस और तकनीकी संस्थानों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने पर जोर दिया गया।
- डिजिटल सेवाओं की सुरक्षा:श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उपलब्ध डिजिटल सेवाओं को साइबर हमलों से बचाने के उपायों पर चर्चा की गई।
- आधुनिक तकनीकों का उपयोग: साइबर अपराधियों के नेटवर्क को ट्रैक करने और उनका मुकाबला करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
- कर्मचारियों का प्रशिक्षण : साइबर सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई।
- फेक न्यूज और अफवाहों पर रोक : सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए विशेष टीम का गठन किया जाएगा।
साइबर सुरक्षा के तहत उठाए जा रहे कदम
साइबर कमांड सेंटर : महाकुंभ के दौरान एक विशेष साइबर कमांड सेंटर स्थापित किया जाएगा, जो चौबीसों घंटे निगरानी करेगा।
डिजिटल पेमेंट की सुरक्षा : श्रद्धालुओं के लिए डिजिटल पेमेंट सुरक्षित और निर्बाध रहे, इसके लिए एन्क्रिप्शन और फायरवॉल जैसी तकनीकों का उपयोग होगा।
संदिग्ध गतिविधियों की पहचान : संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने और तुरंत कार्रवाई के लिए विशेष साइबर टीम बनाई जाएगी।
साइबर क्राइम हेल्पलाइन : श्रद्धालुओं को किसी भी साइबर अपराध की स्थिति में त्वरित मदद देने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा।
साइबर वॉलंटियर्स : साइबर सुरक्षा टीमों के साथ काम करने के लिए तकनीकी संस्थानों और युवाओं को वॉलंटियर के रूप में जोड़ा जाएगा।
महाकुंभ में साइबर सुरक्षा के अन्य पहलू
- डिजिटल प्लेटफॉर्म का संचालन : महाकुंभ में डिजिटल सेवाओं का बड़ा हिस्सा ऑनलाइन होगा। टिकटिंग, आवास, और यात्रा सेवाएं डिजिटल रूप से संचालित होंगी। इसे सुरक्षित बनाने के लिए मल्टी-लेयर सिक्योरिटी सिस्टम लागू किया जाएगा।
- सोशल मीडिया मॉनिटरिंग : फेक न्यूज और अफवाहों पर रोकथाम के लिए एक सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल तैयार किया जा रहा है। यह सेल किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक या भ्रामक सामग्री पर नजर रखेगी।
- आतंकी साइबर हमलों से सुरक्षा : आतंकी संगठनों द्वारा साइबर हमलों की आशंका को देखते हुए सभी डिजिटल नेटवर्क और सिस्टम को नियमित रूप से जांचा जाएगा।
आम नागरिकों के लिए सुझाव
- केवल भरोसेमंद और सुरक्षित वेबसाइट्स और ऐप्स का ही उपयोग करें।
- किसी भी संदिग्ध ईमेल, लिंक, या कॉल से सतर्क रहें।
- साइबर अपराध से जुड़ी कोई घटना होने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन से संपर्क करें।
- सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की भ्रामक या अफवाहपूर्ण जानकारी साझा करने से बचें।