
स्वरूप रानी चिकित्सालय प्रयागराज। फाइल फोटो।
प्रयागराज [TV 47 न्यूज नेटवर्क]। इलाहाबाद में स्वरूप रानी चिकित्सालय में संविदा पर काम कर रह रहे सैकड़ों कर्मियों को तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। आप इससे अंदाजा लगा सकते है कि उनके घरों की क्या स्थिति होगी। खासकर उनके घरों की जिसका चूल्हा यहां के वेतन से ही जलता हो। इसको लेकर कर्मियों के अंदर काफी रोष है, लेकिन नौकरी चले जाने के भय से वह सड़क पर नहीं उतर पा रहे हैं। उधर, चिकित्सालय प्रबंधन उनको तीन माह से लगातार आश्वासन दे रहा है। संविदा कर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगाई है कि उनके साथ इंसाफ किया जाए और उनको तत्काल सैलरी मुहैया कराई जाए। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय प्रयागराज मंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां पर 80 प्रतिशत कर्मचारी जिनमें वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मी और नर्सिंग स्टाफ भी हैं। इनमें करीब 200 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और 150 नर्सिंग स्टाफ हैं।
यह बात आप को चौंका सकती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह अस्पताल संविदाकर्मियों के भरोसे चलता है। यहां सैकड़ों की तादाद में संविदाकर्मी हैं। इन कर्मियों को तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। इतना ही नहीं सैलरी मांगने पर इनको नौकरी से निकाल देने की धमकी दी जाती है। इस भय से वह उफ नहीं कर पाते हैं। यहां तैनात एक कर्मी ने कहा कि हमारी स्थिति बंधुवा मजदूरों से भी बद्तर है। प्रबंधन ने हमारी जुबान पर ताला लगा दिया है। हम उफ भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ढाई महीने से सैलरी नहीं मिली है। आखिर हम किससे फरियाद करें।
उन्होंने कहा कि सैलरी के नाम पर सभी बड़े पदाधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। शीर्ष अधिकारी लखनऊ का हवाला देकर मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्थायी लोगों की सैलरी हर महीने आ जाती है, लेकिन हम लोग महीनों अपनी सैलरी का इंतजार करते हैं। इसके चलते कई कर्मियों की बच्चों की फीस नहीं जमा हो पाई है। कई बच्चों को स्कूल से निकाले जाने का नोटिस भी है। इसी तरह से जो लोग किराए पर हैं, उनको मकान मालिकों की ओर से बेदखल करने का दबाव बनाया जा रहा है।
बता दें कि प्रयागराज का स्वरूप रानी चिकित्साल पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़े अस्पतालों में से एक है। आस-पास के दर्जनों जिलों के क्रिटिकल मरीज को यहां रेफर किया जाता है। यहां रोज हजारों मरीज उपचार कराने के लिए आते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रयागराज जनपद के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, कौसांबी, बांदा, चित्रकूट आदि जिलों के मरीज इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से आते हैं। इसके चलते अस्पताल पर भी बड़ा दबाव रहता है।
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